बोन मैरो क्या होता है :-
बोन मैरो से रिलेटेड डिसऑर्डर इसमें आयुर्वेद में कहा गया है ,अस्थि मज्जा गत ( एक प्रकार की बीमारी) वात अस्थि मज्जा गत विकार या अस्थि मज्जा से संबंधित विकार कहने का मतलब यह है, कि हमारी जो बड़ी हड्डियां हैं, उसके अंदर एक चिपचिपा सा या कह सकते है कि मुलायम तथा स्पंजी सा पीले और लाल रंग का होता है कहीं आपको पीला नजर आएगा कहीं पर लाल रंग का नजर आएगा तो उसे हम कहते हैं, बोन मैरो जिसे हम मज्जा बोलते है।
मज्जा कहाँ पाया जाता है :-
अंखियों के अंदर आने वाला मज्जा जब इसमें विकार उत्पन्न हो जाता है, तो कई प्रकार के इनमें दोष भी चले आते हैं, वात पित्त कफ जो बढ़कर इन्हें में जाकर इनको दूषित कर देते हैं ,तो बीमारियां उत्पन्न हो जाती है, अब इसी तरह जैसे बोन मैरो हमारे शरीर में वजन को कम करती हैं, जैसे एक व्यक्ति कोई भी व्यक्ति है मान लीजिए मैं ही हूं तो मेरा जो वजन है उसके मुताबिक 4 परसेंट मेरे शरीर में बोन मैरो मिलेगा जितना मेरा वजन है उसके चार परसेंट मोटा अनुमान आपको अस्थि मज्जा जिसे बोन मैरो कहते हो वह मिल सकता है,कम भी मिल सकता है कोई जरूरी नहीं है इतना ही मिलेगा, के शरीर इतना मोटा ताजा तो है पर मज्जा नहीं पाया जाता है।
बोन मैरो से हड्डियों मे परेशानी और कठिनाई :-
बड़ी हड्डियों में पाया जाता है लेकिन बोन मैरो करता क्या है , इससे चलने मे दिक्कत व बहुत अधिक कठिनाइयां होती है , घुटनों मे दर्द रहता है ।
बोन मैरो के कार्य और पूरी प्रणाली :-
बोन मैरो स्टेम सेल्स बनाता है,इसे स्टेम कोशिकाएं के नाम से जानते हैं यह कोशिकाएं क्या करती हैं? जो हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स लाल रक्त कोशिकाएं होती है शरीर में ऑक्सीजन को लेकर जाती हैं और हमारे शरीर के अंगों तक धातुओं तक पहुंचाती हैं, इसी तरह वाइट ब्लड सेल्स तो हमें रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम कहा जाता है, तो उनको और जो प्लेटलेट्स है जो हमारे खून का थक्का बनने में मदद करता है, उसको संतुलित कर इन तीनों को संतुलित मात्रा में बनाने का काम स्टेम सेल्स का ही होता है।
बोन मैरो से हमारे शरीर मे क्या होता है :-
जब इसमें विकार उत्पन्न हो जाता है, तो यह कभी कम बनने लग जाता है कभी ज्यादा बनने लग जाता है कभी किसी का रेड ब्लड सेल्स ज्यादा बनने लग जाएगा तो किसी का रेड ब्लड सेल्स कम बनने लग जाएगा, तो उससे बीमारी होगी इसी तरह किसी का वाइट ब्लड सेल्स ज्यादा बनने लग गया तो उसको बीमारी होगी, वाइट ब्लड सेल्स कम बनने लग गया तो उसको बीमारी होगी ,प्लेटलेट ज्यादा मात्रा में बनने लग गया तो बीमारी होगी कम मात्रा में बन गया तो बीमारी कहने का मतलब संतुलन बिगड़ेगा तो होगा ही होगा जिसके नाम से जाना जाता है, स्कोर बनाना बंद कर देते हैं तो आप्लास्टिक एनीमिया की शिकायत हो जाती है, इसी तरह वाइट ब्लड सेल्स जब ज्यादा मात्रा में बनने लग जाता है तो लोप्रोलिफ एडिटिव नाम की बीमारी उत्पन्न हो जाती है इसकी कई बार क्या होता ,बोन मैरो में गांठ उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण ब्लड सेल्स को ठीक मात्रा में नहीं बना पाते या खून बनाने में कठिनाई हो जाती है ,तो कहने का मतलब सबसे मेन जो है , बोन मैरो जब हमारे सेल्स ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते उस में विकार उत्पन्न हो जाते हैं तो हमें बीमारियां घेर लेती है।
बोन मैरो ठीक करने की विधि :-
इसमें जो मैं आपको उपचार बताने जाऊंगा मैं यह नहीं कहूंगा कि सारे ही मरीज ठीक हो जाते हैं ,बहुत से मरीज ठीक हो जाते हैं और आयुर्वेद में कहा गया है कि जब अस्थि मज्जा के अंदर दोष उत्पन्न हो जाते हैं जैसे वत बढ़ गया हो , वह किसी भी तरीके से बोन मैरो में चला गया और वह बंद कर देगा वहां पर रहकर , बीमारी को उत्पन्न करना अब वह किसी में भी आ जाए, मतलब इसी तरह दोष प्रकृति रहे तो बिल्कुल नॉर्मल अगर वह विकृति बन जाए तो बीमारी उत्पन्न हो जाती है शरीर सीबी अंगों में या धातु में जाकर रुक जाने से बीमारियां उत्पन्न करती है ,वह धातु आ जाती है जो 80% मज्जा का मतलब ही होता है बोन मैरो तो उसमें अगर, वह बढ़ गए वहां बात बढ़ गया या फिर बढ़ गया तो तरह तरह के रोग उत्पन्न कर देते हैं उस विधि से अगर पेशेंट को देखकर इलाज किया जाए तो भगवान की कृपा से बहुत लोगों को आराम मिल जाता है सभी लोगों को नहीं कहूंगा कि आराम मिल जाता है, क्योंकि कई लोगों की इतनी ज्यादा बेकार कंडीशन होती है जिसमें उनको आराम उसके लिए कीमो थेरेपी या बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन बार बार ब्लड को बदलना ब्लड बार-बार ब्लड चढ़ाना यह सब आ जाता है ।
बोन मैरो मे दवाईयों को उपयोग :-
मान लीजिए कि अगर कुछ जिनको इनसे नहीं गुजरना पड़ता वह दवाई के सहारे ही ठीक हो जाते हैं बहुत से ऐसे भी पिछड़ होते हैं, दवाई भी ले सकते हो किसका- किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं है बिल्कुल आप प्राकृतिक तौर पर इस्तेमाल करके लाभ उठा सकते हैं और समय-समय पर अपने डॉक्टर को भी चेकअप करवाते रहे वह भी आपको बताते रहेंगे जी आप ठीक होते जा रहे हैं मज्जा मे नीचे में किसी प्रकार की कोई बुराई नहीं है आप इस्तेमाल करके लाभ उठा सकते हैं नजर आएंगे जिनके बीमारियां उत्पन्न होती है, वह बढ़ जाती है आ जाती है, तो रोगी को पेन होता है और जो भी कुछ खाते पीते हैं तो खाना पीना भी एकदम भारीपन होता है ,हमेशा ही जगह पर पसली के नीचे दर्द होता है इस जगह पर दर्द सा बना रहता है , भारीपन सा बना रहता है शरीर में बुखार सा बना रहता है शरीर में दर्द महसूस होती है शरीर का वजन कम हो जाता है और तरीक़ा जो कहते हैं ना कि हमेशा अच्छा लगेगा।
बोन मैरो के लक्ष्ण :-
जैसे मान लीजिए पेट में तो दर्द हो रहा है पेट में दर्द होता है जरा सा काम करते हैं तो थकावट के साथ-साथ सांस फूलने लग जाता है, कई लोगों में लक्षण के रूप में देखे जाते हैं नाक से मुंह से मूत्र मार्ग से गुदा मार्ग से खून आने लग जाता है और सबसे बड़ी बात जो कई लोगों में देखा जाता है कि बढ़ता जाता है और पेट बढ़ने के कारण क्या होता है कि शरीर में बेचैनी सी बनी रहती है रात को सोते तो अच्छे से नींद नहीं आती और ऐसा लगता है जैसे मान लो रात को डिस्टरबेंस बनी हुई है रात को बार-बार पसीना आता है बार-बार नींद खुलती है और कई बार पेशंट ऐसे देखने में आते हैं उनके जो रेड ब्लड सेल्स व्हाइट ब्लड सेल्स किसी के संबंध में किसी के ज्यादा बन रहे हैं तो वह भी एक बोन मैरो में विकृति के कारण उत्पन्न हो जाती है।
बोन मैरो होने की वजह :-
किस वजह से होती है बोन मैरो, अब मैं आपको यह बता देता हूं उनमें ज्यादातर लोगों को पाया जाता है कि लेफ्ट साइड में जो फलिया हमारी होती है उसके नीचे होती है जिसे रूबी भी कहा जाता है कहा जाता है उसका आकार बढ़ जाता है जिसकी वजह से रूबी को पेट में पेट में दर्द के पास लेफ्ट साइड में दर्द महसूस करता है भारीपन महसूस करता है पेट हमेशा खुलासा महसूस करता है और दर्द पाया जाता है कई लोगों में लक्षण के रूप में पाए जाते है ,हमेशा बुखार बना हुआ रहता है जरा सा काम करते थक जाते हैं सांस फूल जाता है कई लोगों में देखा जाता है कि उनको जब टेस्ट करवाते हैं वह ज्यादा मात्रा में पाया जाता है कई लोगों को लाइट कम मात्रा में पाया जाता है- ज्यादा मात्रा में पाया जाता है लोगों का लक्षण के रूप में पाया जाता है कि उनका रेड ब्लड सेल्स जो होते हैं वह कम मात्रा में पाए जाते हैं शरीर में हमेशा ऐसे सोते हैं तो एकदम बेचैनी सी बनी रहती है रात को सोते समय बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना ज्यादा आता है और बहुत बेचैन से रहते हैं अब मैं आपको इसके कारण बताया हूं कारण में कुछ लोगों को अनुवांशिक कारण भी पाया जाता है जिससे हेरिडिटी के नाम से जानते हैं ।
बोन मैरो को लेकर लोगों की मानसिकता :-
कुछ लोगों को मलेरिया की दवाई खाते हैं वह गर्म दवाई होती है तो वह दवाई की गर्मी के कारण यह विकार उत्पन्न हो जाता है या अन्य कोई दवाई खाते हैं उसके साइड इफेक्ट के कारण यह बीमारी उत्पन्न हो जाती है कई लोगों का रहन सहन मान लीजिए किसी का भी बात करते है या प्रकृति है या उनका रहन-सहन खराब तो हम उनको कहते हैं कि आप जो भी अपना उपचार कर रहे हैं अंग्रेजी दवाई कर रहे हैं या जो भी खा रहे हैं दवाई उसके सबको ठीक तो नहीं कहता मगर कुछ लोगों को इन औषधियों से बहुत अच्छा फायदा होता है, और उनको इन और जो उपचार बताए गए हैं वह उपचार करवाने की जरूरत नहीं पड़ती सबको नहीं बहुत ऐसे लोग भी आते हैं जिनको उपचार से आराम नहीं होता तो उनको यह ऑपरेशन करवाना पड़ता है या बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको इलाज से बहुत अच्छा आराम मिलता है और इनकी जरूरत नहीं पड़ती है इलाज में एक बात बता दूँ आपको गाय का घी या बकरी का घी दूध का जो जमा कर उनका सूप करके भी बनाकर उसका इस्तेमाल करने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है।
बोन मैरो के देसी उपचार :-
अब मैं आपको घरेलू उपचार बताएं तो घरेलू उपचार में एलोवेरा का रस और गिलोय का रस तीनों को तीन-तीन चम्मच सुबह और शाम इस्तेमाल करने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है लगातार इसका इस्तेमाल करते रहे घरेलू उपचार में बहुत अच्छी औषधि है यह,
बोने मैरो का आयुर्वेदिक उपचार :-
अब मैं आपको आयुर्वेदिक औषधि बताएं तो आयुर्वेदिक औषधि में 50 ग्राम सुखी गिलोय 50 ग्राम लोदर पठानी 50 ग्राम लोंग के तीनों को अलग-अलग पीस के पाउडर बना लें, मिलाकर किसी डिब्बे में डाल के रख ले सुबह एक चम्मच शाम को गाय के या बकरी के दूध के साथ इसका इस्तेमाल करने से और खाना खाने के 1 घंटे बाद इस्तेमाल करें तो बहुत अच्छा लाभ मिलेगा।
रेडीमेड उपचार की विधि :-
आपको उपचार बताएं तो रेडीमेड उपचार में सुबह 2:00 बजे दोपहर को दो गोली रात को गुनगुने पानी के साथ खाना खाने के बाद संभाल करें, या फिर बात नाशक वटी एक कैप्सूल सुबह एक कैप्सूल शाम को आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं वात नाशक वटी में गोलियां भी आती है कैप्सूल भी आते हैं अगर आपको गोलियां मिले तो दो गोली सुबह दो गोली शाम को खाना खाने के 1 घंटे बाद गर्म पानी के साथ इस्तेमाल करें अगर आपको कैप्सूल मिले तो एक कैप्सूल सुबह एक कैप्सूल शाम को खाना खाने के 1 घंटे बाद गुनगुने पानी के साथ आप इस्तेमाल करें आपको बहुत लाभ मिलेगा।
बोन मैरो मे क्या क्या परहेज करना चाहिए :-
अब मैं आपको परहेज बताता हूँ, परहेज में हर 2 घंटे पर गुनगुने पानी का एक गिलास पीना भी काफी लाभकारी साबित होता है और लास्ट में आपको एक बात बताना चाहूंगा कि इस बीमारी में सभी लोगों को तो नहीं मगर कुछ लोगों को बहुत अच्छा आराम मिलता है और उनको इस बीमारी से भी छुटकारा मिलता चला जाता है।
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