आज भारत में करोड़ों लोग इस रोग से पीड़ित हैं। इस रोग का नाम है डायबिटीज! W.H.O. की रिपोर्ट के अनुसार 77 मिलियन लोग डायबिटीज से ग्रस्त है। अगर आंकड़े के अनुसार देखें तो विश्व में हिंदुस्तान दूसरे नंबर पर आता है।



डायबिटीज दो प्रकार की होती है।

डायबिटीज टाइप-1 और डायबिटीज टाइप-2

डायबिटीज टाइप-1

डायबिटीज टाइप-1 में रोगी को इंसुलिन लेनी पड़ती है।

डायबिटीज टाइप-2

डायबिटीज टाइप-2 में रोगी को इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ती। जब रोगी की उम्र बढ़ जाती है। तब कभी-कभी उसे इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ जाती है।

जो भोजन हम खाते हैं, जो मीठा खाते हैं! उसे पचाने के लिए पेनक्रियाज से जो रस निकल कर आता है। उसे इंसुलिन हार्मोन कहते हैं। अगर यह हार्मोन निकलना बंद हो जाए या कम हो जाए तभी शुगर की प्रॉब्लम आती है।

टाइप-1 डायबिटीज अक्सर 25 साल से कम उम्र वाले बच्चों में दिखाई देती है। क्योंकि जिनके माता-पिता दोनों को डायबिटीज होती है। उन्हीं के बच्चों में डायबिटीज टाइप-1 दिखाई देने लगती है। उन्हें ही यह रोग की होने की संभावना ज्यादा दिखाई देती है।

टाइप-2 डायबिटीज अक्सर उन लोगों को होती है। जिनका मेटाबॉलिज्म खराब होता है। जिन का पाचन खराब रहता है। और जिनको अक्सर कब्ज रहता है। जिससे उनका शरीर दूषित हो जाता है। उसके शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाते हैं। जिसका असर पैंक्रियास पर पड़ता है। जिससे पैंक्रियास का फंक्शन स्लो हो जाता है। और इंसुलिन हार्मोन पूरी तरह नहीं निकलता जिससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।

शरीर में जमा होने वाले दूषित पदार्थ अधिकतर दूषित आंतों की वजह से आते हैं। क्योंकि कब्ज के कारण आंतों में मल इकट्ठा होने लगता है और जब मल इकट्ठा होता है। तो वह सड़ने लगता है। जिस से तरह-तरह के जहर पैदा होते हैं। जिससे पैंक्रियास इफेक्टेड होने लगता है। शरीर की यही दूषित अवस्था ही मधुमेह के कारण बनती है।

जब रोग का मूल कारण शरीर से बाहर कर दिया जाए या जब शरीर को डिटॉक्स कर दिया जाता है। तो बीटा सेल्स पुनः जीवित होने लग जाती है। हमारा पेनक्रियाज पहले से भी ज्यादा काम करने लग जाती है। और धीरे-धीरे डायबिटीज की समस्या खत्म हो जाती है।

जब डायबिटीज शुरू होती है। तो उसके क्या-क्या लक्षण होते हैं।

व्यक्ति को प्यास अधिक आने लगता है।

पिसाब भी बार-बार आने लगता है।

बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है।

वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है।

बदन में दर्द होने लगता है।

और शरीर के पसीनो का सफेद दाग हमारे कपड़ों पर दिखाई देने लगते हैं।

आंखों की रोशनी जल्दी-जल्दी कम होने लगती है।

हाथों और पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन अनिल लगता है।

नपुंसकता बढ़ जाती है।

प्राइवेट पार्ट्स के आसपास खुजली होने लगती है।

अगर कहीं घाव हो जाए या कट लग जाए तो वह जल्दी से ठीक नहीं होता।

ब्लड वेसल्स में खून जमने लगता है। अगर ब्लड वेसल्स में रुकावट हृदय के आसपास आ जाए तो हार्ड अटैक की संभावना बढ़ जाती है। और यही रुकावट अगर दिमाग की वेसल्स में चली जाए तो ब्रेन हेमरेज होने की संभावना रहती है। और यही रुकावट अगर हाथ और पैरों में आ जाए तो नपुंसकता होने की संभावना बढ़ जाती है।

जैसे ही आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे। आपको तुरंत ही शुगर जांच करवा लेनी चाहिए।

डायबिटीज को हम बिना दवाइयों के कैसे ठीक कर सकते हैं।

एक डायबिटीज के रोगी को 1600 कैलोरी लेनी चाहिए। यह कैलोरी हम किसी भी प्रकार के भोजन से प्राप्त कर सकते हैं। हमें डायबिटीज के अनुसार ही डाइट लेनी है। हमें डायबिटीज के अनुसार प्रोटीन डाइट ज्यादा लेनी है। इसके लिए हम जो प्रोटीन युक्त डाइट खाते हैं। अमीनो एसिड में बदलता है। और जो हम कार्बोहाइड्रेट खाते हैं वह शर्करा में बदल जाता है। इसलिए डायबिटीज में कार्बोहाइड्रेट बंद करके प्रोटीन डाइट की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाता है। डायबिटीज रोगी को दूध की जगह दही का प्रयोग जगह करना चाहिए।

शुगर को कंट्रोल करने के लिए हमें सुबह से लेकर शाम तक कैसी डाइट लेनी चाहिए।

उठते ही प्रातः क्या लेनी चाहिए।

उठते ही प्रातः 10 से 12 तुलसी के पत्ते जिसे काली तुलसी कहते हैं। उसके लेने चाहिए और आधा इंच का अदरक का टुकड़ा लेकर दोनों को अच्छी तरह से कूट ले और कुटे हुए मटेरियल को मुंह में रखकर ऊपर से हल्का गर्म पानी घुट घुट कर के पी ले। 

नाश्ते में ढाई सौ ग्राम गाय के दूध की दही जमानी है। और ढाई सौ ग्राम ही टमाटर लेने हैं। टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़े में काटकर दही में मिला लें और दही को चम्मच लेकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। 

दोपहर में 250 ग्राम दही ले ले और दो कटोरी सब्जी ले ले और उसके साथ कम से कम 250 ग्राम सलाद हो, सलाद भोजन करने से पहले खा ले । उस सलाद में गाजर , टमाटर , खीरा , चुकंदर , प्याज जो भी मौसम की चीजें मिलती हो उसे पेट भर के खानी है। उसके बाद गेहूं , चने , जौ  से बनी मिक्स आटे की रोटी को खूब चबा चबाकर खाएं। और इसके साथ एक गिलास हल्का गर्म पानी जरूर पिएं । दोपहर के खाने के 3 घंटे बाद आपको फिर से 250 ग्राम दही देनी है। और 250 ग्राम टमाटर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर दही में डालने हैं। और उसको चाब चाब कर खाना है। अगर आपको चाय पीने की आदत है। तो आप 5:00 बजे के बाद लेमन टी ले सकते हैं। साथ ही आप एक या दो बिस्कुट भी खा सकते हैं।

रात का भोजन दोपहर के भोजन के जैसे ही करना है। लेकिन दही नहीं खाने हैं और कोशिश करें रात का भोजन आप 8:00 बजे तक खा ले। अगर आपका टमाटर खाने का मन नहीं है। तो आप कोई भी सिट्रिक फल खा सकते हैं। जैसे- मासूमी , संतरा , पाइनएप्पल , कम से कम 300 ग्राम होनी चाहिए । दही भी खा ले और यह फल भी साथ में खा ले।


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