OMEGA-3 क्या काम करता है ?

ओमेगा-3 बढ़े हुए पिंपल्स जोड़ों का दर्द और दिमागी कमजोरी को दूर करने के साथ-साथ शरीर में बढ़े हुए इनफॉरमेशन एंजायटी डिप्रेशन और आंखों की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। ओमेगा 3 वजन को मेंटेन रखने में बहुत मदद करता है। लेकिन अफसोस की बात यह है। कि आजकल खाने पीने की सही जानकारी ना होने की वजह से हम में से अक्सर लोगों के शरीर में ओमेगा-3 की कमी पाई जाती है। क्योंकि अधिकतर लोगों को यह मालूम ही नहीं होता है। कि omega-3 क्या होता है और इसकी कमी को किस तरह पूरा किया जा सकता है।


OMEGA-3  क्या होता है ?

हम जो भी खाते हैं। उसमें तीन प्रकार के Micro-Nutrain पाए जाते हैं।
  1. Protein 
  2. Fat
  3. Carbohydrate 

इनमें भी Fat तीन प्रकार के होते हैं।

  1. Saturated fat 
  2. Polyunsaturated fat
  3. Monounsaturated fat 
Polyunsaturated fat ही शरीर में टूटने के बाद ओमेगा-3 और ओमेगा-6 में बदल जाता है। ओमेगा-3 और omega-6 दोनों ही हमारे शरीर और दिमाग को ठीक ढंग से काम कराने के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन शरीर में इन दोनों का बराबर मात्रा में होना बहुत जरूरी होता है। जैसे-कि अगर शरीर में 1 omega-6 हो तो उसके बदले 1 Omega-3 भी होना चाहिए। नहीं तो 4 Omega-6 के बदले तो 1 Omega-3 होना ही चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि आज हमारा खान-पान गलत होने की वजह से शरीर में ओमेगा-6 की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। और लगभग 15 ओमेगा-6 के बदले 1 ओमेगा-3 भी मुश्किल से शरीर में मेंटेन हो पाता है। 
ओमेगा-6 में मांस, चिकन दूध मक्खन पनीर अंडा तेल और सोया प्रोडक्ट में ओमेगा-6 की ज्यादा मात्रा होती है।
ओमेगा-3 में अखरोट अलसी के बीज चिया सीड और कुछ खास तरह की मछलियों में ओमेगा-3 की ज्यादा मात्रा होती है।
हम और आप ऐसी चीजों का सेवन करते हैं जिनमें omega-6 की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। जिस कारण समय के साथ जैसे-जैसे omega-6 की मात्रा शरीर में बढ़ती हैयह हमारे शरीर में इन्फ्लेमेशन और गर्मी पैदा करने लगता है। जिससे जोड़ों में दर्द चेहरे पर पिंपल्स और ड्राई स्किन जैसी समस्याएं शुरू होने लगती है। इसलिए जरूरी है। कि ओमेगा-3 वाली चीजों को भी अपने खाने में शामिल किया जाए क्योंकि ओमेगा 3 में एंटी इनफॉर्मेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती है। जो कि omega-6 और दूसरी वजह से बड़े हुए इन्फ्लेमेशन और हीट को शरीर से कम करने में बहुत मदद करता है।

ओमेगा-3 की कमी को कैसे पूरा किया जा सकता है।

ओमेगा-3 तीन प्रकार का होता है।
  1. ALA (Alpha-linolenic Acid)
  2. EPA (Ecosapentaenoic Acid) 
  3. DHA (Docosahexaenoic Acid)

ALA (Alpha-linolenic Acid) प्रकार का ओमेगा-3 शाकाहारी भोजन में पाया जाता है। जैसे अखरोट चिया सीड फ्लैक्सीड 
EPA (Ecosapentaenoic Acid) और DHA (Docosahexaenoic Acid) प्रकार का ओमेगा 3 मांसाहारी भोजन में पाया जाता है। जैसे- मैग्रल, सैल-मैन, धुना और हैरींग देसी मछलियों में सबसे ज्यादा omega-3 की मात्रा पाई जाती है
अगर आप नॉन वेजिटेरियन है। तो हफ्ते में दो से तीन बार रोस्टेड यांग ग्रिल फिश का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन जो लोग शाकाहारी है। उन्हें फ्लैक्सीड को रेस्ट करके पाउडर बनाकर एक से दो छोटा चम्मच किसी भी खाने की चीज के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। या चिया-सीड को पानी में कुछ देर भिगोकर रखते और इसे डरेक्ट इस्तेमाल करें। अगर आप खाने के जरिए omega-3 नहीं ले पाते हैं। तो ओमेगा 3 की सप्लीमेंट भी ले सकते हैं जोकि फिश ऑयल के नाम से मार्केट से आसानी से खरीदा जा सकता है। हालांकि फिश ऑयल के सप्लीमेंट को इस्तेमाल करने से पहले बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। फिश ऑयल सप्लीमेंट कब कितना और कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और सबसे जरूरी कि किस कंपनी का फिश ऑयल सबसे ज्यादा बेहतर होता है।

Veg. Or Non-Veg. में से सबसे अच्छा omega-3 किसमें पाया जाता है।

मछली और मछली के तेल में पाया जाने वाला ओमेगा-3 EPA (Ecosapentaenoic Acid) और DHA (Docosahexaenoic Acid) टाइप का होता है। जो शरीर में जाने के बाद हमारा सर इसे दिल दिमाग त्वचा बाल और आंख के लिए डायरेक्ट यूज करती है।

जबकि शाकाहारी चीजों में ALA (Alpha-linolenic Acid) पाइप का omega-3 होता है। जो शरीर में जाने के बाद हमारा शरीर उससे डायरेक्ट यूज नहीं कर पाती हमारा शरीर पहले उसे EPA (Ecosapentaenoic Acid) और DHA (Docosahexaenoic Acid) टाइप में कन्वर्ट करती है। और उसके बाद ही यह हमारे शरीर में यूज़ होता है परंतु इस प्रोसेस में 8-10% ALA- EPA,DHA में कन्वर्ट हो पाता है। और बाकी एनर्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए मछली में पाया जाने वाला omega-3 ज्यादा बेहतर होता है।

एक दिन में कितना omega-3 लेना चाहिए और क्या इसके इस्तेमाल से कोई नुकसान भी हो सकता है।

रोज कितना omega-3 लेना चाहिए यह किसी भी व्यक्ति के फिजिकल एक्टिविटी पर डिपेंड करता है। लेकिन एक सामान्य व्यक्ति को EPA (Ecosapentaenoic Acid) और DHA (Docosahexaenoic Acid) दोनों मिलाकर 700 से 800 एमजी omega-3 लेना बहुत जरूरी होता है। अगर आप बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या वर्कआउट करते हैं। तो 1000 एमजी तक omega-3 ले सकते हैं। जिसमें लगभग 500-800 EPA और 300-400 DHA की मात्रा होनी चाहिए। लेकिन एक बात का ध्यान रखें आपको EPA और DHA के सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान देना चाहिए। अगर आप खाने की चीजों के माध्यम से ओमेगा-3 की कमियों को पूरा करते हैं। तो उसमें आपको EPA और DHA की टेंशन लेने की बिल्कुल भी जरूरी नहीं है।
खाने के चीजों के द्वारा लिया गया ओमेगा-3 का हमारे शरीर में ओवरडोज नहीं होता है लेकिन सप्लीमेंट के द्वारा लिया गया ओमेगा-3 के ज्यादा इस्तेमाल से नुकसान भी पहुंच सकता है। यूरोपीयन फूड सेफ्टी अथॉरिटी के हिसाब से 500 एमजी तक ओमेगा 3 आसानी से कुंजुम किया जा सकता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को EPA और DHA मिलकर 1000 mg से ज्यादा omega-3 इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती।

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