मूंगफली की खेती के लिए अनुकूल समय (Suitable time)

मूंगफली एक तेलहनी फसल है। जो खरीफ सीजन और जायद के सीजन पर उगाई जाती है। मूंगफली को खरीफ सीजन के लिए जून-जुलाई में बुवाई कर सकते हैं। और जायद के लिए मार्च-अप्रैल में बुवाई कर सकते हैं। और दक्षिण भारत में तीनों मौसम में आप मूंगफली की खेती कर सकते हैं।



मूंगफली फसल के लिए तापमान और मृदा (Temperature & Soil)

मूंगफली की फसल के लिए 15 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान अनुकूल माना जाता है। और मूंगफली की फसल के लिए काली मिट्टी, काली दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी, एवं पीली मिट्टी के साथ साथ मध्यम हल्की मिट्टी पर आप मंगफली की खेती कर सकते हैं। मृदा का PH. मान 5.5 से 7.5 तक होना चाहिए और वॉटर होल्डिंग कैपेसिटी अच्छी होनी चाहिए साथ ही उत्तम जल निकास का प्रबंध होना चाहिए।

उत्पादन (Per Acre Production)

मूंगफली का उत्पादन 14 क्विंटल से 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से होता है।

मूंगफली की फसल के लिए खेत की तैयारी (Form Preparation)

गहराई में चलने वाले हल से आपको खेत की पहली जुताई करवाना है। खेत की गहरी जुताई करवाने के बाद कम से कम 15 से 30 दिनों की तेज धूप खेतों में लगवाए जिससे मोथा घास की जड़े सूख जाए और बाद में कल्टीवेटर में पाटा लगवा कर खेत को समतल करवाएं और अंतिम जुताई से पहले बेसल डोज अवश्य डालें।

बेसल डोज (Besal dose)

3-4 ट्राली गोबर की खाद + DAP=50 kg + SSP= 100 kg + MOP=30/40 kg + Fipronil 0.3% gr =5 kg ( जिन खेतों पर सफेद कीड़ा आता है) इन सभी खातों का मिश्रण तैयार कर के खेतों में बिखेर कर रोटावेटर से खेत को समतल कराना है। इस प्रकार आपका खेत तैयार हो जाएगा।

मूंगफली फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व (Important nutrition)

मूंगफली की फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, फोटास, सल्फर और  कैल्शियम जैसी पोषक तत्वों की आवश्यकता सबसे अधिक मात्रा में होती है। क्योंकि मूंगफली एक जड़ संबंधी फसल है। इसलिए इसमें फास्फोरस की सबसे अधिक आवश्यकता तो होती ही है पर जितनी फास्फोरस की आवश्यकता होती है। उतनी ही सल्फर की भी आवश्यकता होती है क्योंकि मूंगफली एक तेलहनी फसल है। और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सल्फर बहुत अधिक भूमिका निभाती है। सल्फर और कैल्शियम की पूर्ति करने के लिए बाजार में यदि कोई सस्ता सा ऑप्शन है तो वह है जिप्सम खाद। जिप्सम खाद में सल्फर 13.5%, कैल्शियम 19% पाया जाता है। 50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से जिप्सम खाद को खेत तैयार करते समय खेत में डालें अगर मिट्टी की PH मान 7 से अधिक है। तो और भी अधिक फायदा होने वाली है।

प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता (Per Acre seeds)

यदि आप 16 इंच पर बुवाई करते हैं। तो 30 से 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बीज की आवश्यकता पड़ने वाली है।

बीजों का उपचार (seeds treatment)

मूंगफली की फसल में बीज उपचार करना बहुत अधिक जरूरी है। बीज उपचार के लिए Carbendazim 12% + Mancozeb 63% wp 10 kg seeds को 50 gm से उपचार करें। या फिर Thiophante Methyl 45% + Pyraclostrobin 5% FS 10 kg seeds को 20 ml से उपचार करें। और बीज उपचार करने के बाद लगभग 40 मिनट छांव में सुखाएं और उसके बाद बुवाई कर दें।

बीज की बीजों से दूरी (Seeds Sowing distances)

लाइन से लाइन की दूरी 16 इंच और पौधे से पौधे की दूरी 2 से 3 इंच तथा गहराई 2 से 2.5 इंच की दूरी पर ही बीजों की बुवाई करें। यदि आप बैड बनाकर बुवाई करते हैं। तो कम चीजों की आवश्यकता होगी और उपज भी अधिक होगी। अगर आप चाहें तो मूंगफली की खेती ड्रिप में भी कर सकते हैं।

मूंगफली की उन्नत किस्में (Important Variety)

मूंगफली की सभी किस्में सभी जगह तो सूटेबल हो ही नहीं सकती है। मूंगफली की किस्में एरिया जलवायु तापमान एवं मौसम के अनुसार ही आपको चयन करना चाहिए। जैसे-चाइना हाइब्रिड वैरायटी G-10,TBG-39, GJ-32, CGM-1, बटानी f1, KL-1812, और जायद के लिए RG-141 & TAG-24 जैसी वैरायटी को आप लगा सकते हैं।

मूंगफली फसल का जीवन चक्र (Life cycle)

मूंगफली की फसल बुवाई से लेकर 120 से 125 दिन तक में तैयार हो जाती है।

खरपतवार की रोकथाम (Weed control)

खरपतवार की रोकथाम आप मशीनों की सहायता से भी कर सकते हैं। और मजदूरों की सहायता से भी कर सकते हैं। तथा रासायनिक विधियों से भी कर सकते हैं। रासायनिक विधि के लिए आप Pendimethalin 30%EC बुवाई के 2 दिन के अंदर 200 लीटर पानी में 1 लीटर दवाई मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। अगर आप या स्प्रे बुवाई के तुरंत बाद करते हैं। तो खरपतवार 40 दिनों तक नहीं उगेंगे। अगर आप बुवाई के बाद Pendimethalin 30%EC का स्प्रे नहीं किया है तो आप बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद propaquizafop 2.5% + Imazethapyr 3.75% + w/a + ME 800 ml/Arce 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से इस पर एक कर दें। या फिर Imazethapyr 10% EC 200 लीटर पानी में 300ml को मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे कर दें।

मूंगफली की फसल पर पीलापन की समस्या

मूंगफली की फसल पर पीलापन कई कारणों से आता है। सल्फर की कमी के कारण भी तीव्र गति से पीलापन फैलता है। नाइट्रोजन की कमी के कारण तथा पानी के कमी के कारण और न्यूट्रिशन की कमी के कारण जैसे गोबर की कमी के कारण पीलापन बना रहता है। तथा फंगस की समस्या के कारण भी फिर अपन बना रहता है। एवं रस चूसक किट तथा माहू के प्रकोप के कारण भी पीलापन बना रहता है। पीलापन की रोकथाम के लिए आपको बुवाई के समय न्यूट्रिशन की पूर्ति करना है। और नाइट्रोजन तथा सल्फर की पूर्ति आप जल्दी से जल्दी करें तथा रस चूसक कीटों पर विशेष ध्यान रखना है। पतियों की निचली सतह पर सकिंग पेस्ट का प्रकोप रहता है। इसे रोकने के लिए आप Thiamethoxam 25% eg 8 gm/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। या फिर acephate 50% + Imidacloprid 1.8% SP 35 gm/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि खरीफ सीजन में बुवाई के बाद बारिश ना हो तो आप स्प्रिंकलर या ड्रिप जो भी उपलब्ध हो उससे आपको सिंचाई करना चाहिए आवश्यकता अनुसार समय-समय पर आपको सिंचाई करना है।

मूंगफली की फसल पर आने वाले फंगस और उनकी रोकथाम (Fungus control)

मूंगफली की फसल पर लीफ स्पॉट, पाउडरी मिलड्यूड, अंतरा कन्नौज एवं रूट रोट के साथ- साथ रस्ट समस्याएं सबसे अधिक देखने के लिए मिलती है। इन फंगस की रोकथाम के लिए Tebuconazole 10% + Sulphur 65% wg 40 gm/ 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें या फिर Hexaconazole 5% + Captain 70% wp 40 gm/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

मूंगफली की फसल पर रस चूसक किट की रोकथाम

रस चूसक किट की रोकथाम के लिए Tolfenpyrad 15% EC 30ml/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। या फिर acephate 50% + Imidacloprid 1.8% SP 35gm/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।  या फिर Profenophos 40% + Cypermethrin 4% ec 40/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

मूंगफली कन्द फल्ली का विकास

मूंगफली की कन्द और उत्पादन बढ़ाने के लिए सबसे पहले आपको खाद तथा सिंचाई की व्यवस्था को सुधार कर रखना है। सही टाइम पर सही न्यूट्रीशन की कमी को पूर्ति करते रहना है। और भी उत्पादन बढ़ाने के लिए आप प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए Paclobutrazol 40% SC 30ml/Arce की दर से 3 ml/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। अगर आप और अच्छा परिणाम चाहते हैं। तो Paclobutrazol 40%SC 30 ml/Arce की दर से 3 ml/15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 

स्प्रे शेड्यूल (spray Schedule)

मूंगफली की फसल पर लगने वाला किट जैसे- एफैड, सफेद मक्खी एवं कुछ इलाकों पर thips का भी प्रकोप देखने को भी मिल जाता है साथ ही हरि इल्ली और जड़ों को काटने वाला कीड़ों का प्रकोप देखने को मिल जाता है। और साथ ही फंगस का भी प्रकोप देखने को मिल जाता है। 



मूंगफली की फसल पर पहली स्प्रे

पहली स्प्रे बुवाई से 25 से 30 वे दिन करना चाहिए परी स्प्रे के लिए Perofenophos 40% + Cypermethrin 4% EC-35ml + Carbendazim 12% + Mancozeb 63% wp-40 gm + NPK 191919 घुलनशील खाद-100 gm 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

जब मूंगफली की फसल बुवाई से 45 से 50 दिन की हो जाए तब दूसरी स्प्रे करनी चाहिए दूसरी स्प्रे के लिए Beta-Cyfluthrin 8.49 + Imidacloprid 19.81%-12 ml + Tebuconazole 10% + Sulphur 65% wg-40 gm + Streptocycline sulphate-1-1.5 gm 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। मूंगफली की फसल पर जब भी आप स्प्रे कर रहे हैं तब स्टीकर मिला कर ही स्प्रे करना चाहिए। जिससे घोल लंबे समय तक पत्तो पर टिका रहेगा।

मूंगफली की फसल जब 65 से 70 दिन की हो जाए तब तीसरी स्प्रे करनी चाहिए कि श्री स्प्रे के लिए Paclobutrazol 40% SC-3ml + Quinalphos 25% EC-40ml 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

सिंचाई (irrigation system)

गर्मियों के समय में 10 से 15 दिनों की अंतराल पर आपको आवश्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए यदि आप खरीफ सीजन में मूंगफली की खेती कर रहे हैं और बरसात नहीं हो रही है तो आपको स्प्रिंकलर से सिंचाई करना चाहिए।

खाद का शेड्यूल (Fertigation Schedule)

जब हम खेत की तैयारी कर रहे थे तभी हमने काफी अधिक न्यूट्रिशन की पूर्ति कर दी है। अब हम उन फली की फसल पर केवल एक ही खाद देने वाले हैं। जब हमारी फसल 30 से 35 दिन की होती है। तब हम इस पर पहली खाद्य डालेंगे पहली खाद में यूरिया-45kg + माइक्रोन्यूट्रिएंट्स फ़र्टिलाइज़र-5kg प्रति एकड़ की दर से जड़ों के पास देकर सिंचाई करें।

जड़ गलन की समस्या

अगर आपकी मूंगफली की फसल में जड़ गलने की समस्या है तो Tricoderma=500gm +गन्ने का गुड़ 2 kg पानी में घोलकर जड़ों के पास दीजिए। या फिर Thiophante Methyl 70% wp 500 gm per Acre spray सिंचाई में प्रयोग करें।

अगर आप इस प्रकार है मूंगफली की खेती करते हैं तो कम से कम लागत पर अधिक से अधिक मुनाफा निकाल सकते हैं। 


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