लहसुन की खेती के लिए उन्नत समय (suitable time)

लहसुन की खेती के लिए 20 सितंबर से 20 अक्टूबर का समय बहुत ही अनुकूल माना जाता है।



लहसुन की खेती के लिए मिट्टी एवं तापमान (Temperature & Soil)

लहसुन की फसल के लिए न्यूनतम तापमान 14 से 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 35 से 36 डिग्री सेल्सियस काफी अच्छा माना जाता है। तथा लहसुन की फसल के लिए पीली मिट्टी, काली मिट्टी, काली दोमट मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी और मध्यम हल्की मिट्टी के साथ मिट्टी की PH. Value 5.5 से 7.5 के आसपास होना चाहिए तथा वॉटर होल्डिंग कैपेसिटी अच्छी होनी चाहिए एवं उपयुक्त जीवाश्म पदार्थ वाली भूमि पर आप लहसुन की खेती कर सकते हैं। और अधिक से अधिक उत्पादन निकाल सकते हैं।

खेत की तैयारी (Form Preparation)

मध्यम गहराई में चलने वाले हल या कल्टीवेटर से आपको पहली जुताई  करना है। 

बेसल डोज (Besal dose)

3 से 4 ट्राली देसी गोबर की खाद + 50 kg - DAP खाद + 30 kg - MOP पोटाश 60% + 100 kg - SSP पाउडर खाद + 5kg - fipronil 0.3 GR दानेदार कीटनाशक सभी खातों को अच्छी तरह से मिक्स करके खेतों में खेलकर रोटावेटर से समतल कराइए।

लहसुन की उन्नत किस्में (Improve Hybrid Variety)

ऊटी लहसुन, G-2 लहसुन, रिया -1 लहसुन, विदिशा लहसुन, आमेटा लहसुन, एलीफेटा लहसुन 

हमारे एरिया में ज्यादातर ऊटी लहसुन को लगाया जाता है। ऊटी लहसुन की बुवाई जल्दी हो जाती है। 1 सितंबर से 15 सितंबर के आसपास से ऊटी लहसुन की बुवाई हो जाती है। और ऊटी लहसुन के बीज की कीमत 10000 से ₹12000 प्रति क्विंटल है। यदि आप मार्केट से 4 क्विंटल लहसुन की कन्द लाते हैं। तो 150 से 160 किलो लहसुन की कलियां हैं निकलने वाली है जो कि 1 एकड़ खेत में बुवाई की जाती है।

वोही अगर आप G-2 लहसुन को लगाते हैं। तो यह ₹7000 से ₹8000 प्रति क्विंटल की दर से मार्केट से मिल जाता है।

प्रति क्विंटल बीज की आवश्यकता (Per Acre seeds)

150-160 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से मध्यम आकार के लहसुन की कलियों की आवश्यकता होती है।

पौधों से पौधों की बीच की दूरी (Seeds Sowing distances)

पौधे से पौधे की दूरी 3 से 4 इंच और लाइन से लाइन की दूरी 5 से 7 इंच तथा पौधे की गहराई 2 इंच पर आप बुवाई कर सकते हैं। अलग-अलग वीडियो से लहसुन की रोपाई की जाती है। आप हाथों से मशीनों से या फिर सीडल विधि के द्वारा भी बुवाई कर सकते हैं। जिस प्रकार मूंगफली और सोयाबीन की सीडल की जाती है। उसी प्रकार आप लहसुन की भी बुवाई कर सकते हैं।

बीज उपचार (Seeds treatment)

बीज उपचार करना बहुत ही अधिक जरूरी है। क्योंकि अगर आप वीडियो प्यार नहीं करते हैं। तो जड़ संबंधी फफूंदी जनक रोगों का प्रकोप आपको देखने को मिल सकता है। अगर आप चाहते हैं कि पौधे स्वस्थ रहें और किसी प्रकार की फफूंदी जनक बीमारियों का प्रकोप ना आए इसके लिए बीज उपचार जरूर करना चाहिए अगर आप के खेतों में जड़ संबंधी फंगस कम आते हैं। तो आप Carbendazim 12% + Mancozeb 63% wp को 1 kg बीजों को (कलियों) 5 gm fungicide से उपचार करें। अगर आपके खेतों में जड़ संबंधी फंगस अधिक आते हैं तो आप Thiophante Methyl 45% + Pyraclostrobin 5% FS को 1 kg  बीजों को (कलियों) 2 ml Fungicide से उपचार करें। 

खरपतवार की रोकथाम (Weed control)

लहसुन की खेती में आप दो प्रकार से खरपतवार की रोकथाम कर सकते हैं। पहला रासायनिक विधि और दूसरा श्रम विधि जहां तक संभव हो मजदूरों की सहायता से ही आपको खरपतवार निकलवाना चाहिये और निराई तथा गुड़ाई करवाना चाहिए। रसयनिक विधि के लिए बुवाई के समय Pendimethalin 30%EC 1 लीटर/- 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। अगर आप लहसुन की बुवाई के  समय Pendimethalin का स्प्रे नहीं कर पाए हैं तो आप बुवाई के 25 से 30 वे दिन पे Propaquizafop 5% + Oxyflurofen 12% EC 300 ml/- 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। अगर आप यह स्प्रे करना चाहते हैं। तो खेत में पहले सिंचाई अवश्य कर लें जिससे फसल को भी झटका ना लगे। इसके अतिरिक्त जहां तक संभव हो मजदूरों के सहायता से ही खेतों से खरपतवार निकलवाना चाहिए।

लहसुन की फसल पर प्रति एकड़ की दर से लागत (Per Acre Cost)

खाद्य दवाई खेत तैयार करने का खर्च बेसल डोज खरपतवार नाशक की स्प्रे का खर्च खाद बीज दवाई के साथ-सथ सिंचाई यदि इन सभी का कुल खर्च निकाला जाए तो ₹35000 से ₹40000 प्रति एकड़ की दर से होता है। आप जिस प्रकार के लहसुन की किस्म लगाते हैं आपको उसी प्रकार की लागत आने वाली है।

लहसुन की फसल का उत्पादन (Per Acre Production)

आप 50 से 55 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से लहसुन के उत्पादन होती है। लेकिन हम आपको ऐसे नियम एवं खाद दवाइयों के बारे में बताने वाले हैं जिससे आपका उत्पादन और भी बढ़ सकता है।

लहसुन की फसल को तैयार होने में कितना समय लगता है (Life cycle)

लहसुन की फसल को बुवाई से हार्वेस्टिंग तक 4 महीने का समय लग जाता है यानी 120 से 125 दिन में लहसुन की फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है।

स्प्रे शेड्यूल (spray Schedule)

लहसुन की फसल पर सबसे अधिक थ्रेप्स कीट का प्रकोप और रस चूसक किट तथा  फंगस का भी प्रकोप देखने को मिलता है। इन सभी कीटों की तथा फंगस की रोकथाम के लिए पहली स्प्रे जब हमारी फसल बुवाई से 40 से 45 दिन की होती है। तो Imidacloprid 17.8% EC =15 ml + Lamdaclyhlothrin 5% EC =30ml + Carbendazim 12% +Mancozeb 63% wp =40 GM में स्टीकर मिलाकर 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।

जब लहसुन की फसल बुवाई से 70 से 80 दिन की हो तब दूसरी स्प्रे की जरूरत होती है। दूसरी स्प्रे के लिए Imidacloprid 40% + Filpronil 40% WDG =6/7 GM + Propenophos 40% + Cypermethrin 4% EC =25 ML + Captan 70% + Hexaconazoll 5% wp =40 gm में स्टीकर मिलाकर 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। 

जब आपकी लहसुन की फसल पर Thrips बेकाबू हो गया है। कंट्रोल नहीं हो पा रहा तब आप Delegute 5/6 ml + Imidacloprid 40 + Fipronil 40% =10 gm को 15 लीटर पानी में मिक्स करके स्प्रे करें। अगर लहसुन की फसल पर Thrips बेकाबू नहीं है। तो इस स्प्रे की कोई जरूरत नहीं है।

लहसुन पर तीसरी स्प्रे बुवाई से 80 से 85 वे दिन करना चाहिए तीसरी स्प्रे के लिए Paclobutrazole 23% sc =8 ml + Boron 20% =25 gm + NPK 0-0-50 =80 gm में स्टीकर मिलाकर 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।

खाद का शेड्यूल (fertilizer Schedule)

जब लहसुन की फसल बुवाई से 30 से 35 दिन की हो जाए तब पहली खाद डालनी चाहिए पहली खाद के लिए यूरिया 45 किलोग्राम + सागरिका दानेदार खाद 8 किलोग्राम प्रति एकड़ जड़ों के पास देकर सिंचाई करें। 

जब लहसुन की फसल बुवाई से 40 से 50 दिन की हो जाए तब दूसरी खाद डालनी चाहिए दूसरी खाद के लिए यूरिया खाद 45 किलोग्राम + सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त खाद्य 5 किलोग्राम + Clorpyriphos 50% =1 लीटर प्रति एकड़ जड़ों के पास देकर सिंचाई करें।

जब लहसुन की फसल बुवाई से 65 से 70 दिन की हो जाए तब तारीख आज की आवश्यकता पड़ती है तीसरी खाद के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 25 किलोग्राम प्रति एकड़ जड़ों के पास देकर सिंचाई करें।

जब फसल तैयार हो जाए तब आपको सिंचाई बंद कर देनी चाहिए एवं फसल उखाड़ कर 10 से 12 दिन खेत पर ही पड़ी रहने दे और 10 से 15 दिनों की तेज धूप जरूर लगवाएं।



मुनाफा ( Benefits)

मुनाफाउत्पादन क्वालिटी और रेट पर काफी अधिक निर्भर करता है।  यदि आप की फसल की क्वालिटी अच्छी है। और मार्केट रेट अच्छा है तो आपको काफी अच्छा मुनाफा होने वाला है ₹200000 से ₹250000 प्रति एकड़ की दर से अब कमा सकते हैं या मुनाफा घट भी सकता है। और बढ़ भी सकता है।

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