प्याज की खेती के लिए उन्नत समय (Suitable Time)

प्याज की खेती रबी तथा खरीफ दोनों सीजन में की जाती है। रबी सीजन के लिए दिसंबर से जनवरी तथा खरीफ सीजन के लिए जुलाई से अगस्त का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। यदि आप नर्सरी तैयार कर रहे हैं तो नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 40 दिन लगते हैं। प्लांटेशन से लगभग 40 दिन पहले आपको नर्सरी डालनी पड़ेगी तभी आपको स्वास्थ्य नर्सरी प्राप्त होगी।



प्याज की खेती के लिए अनुकूल तापमान और मिट्टी (Soil & temperature)

प्याज की फसल के लिए तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास की तापमान की आवश्यकता पड़ती है। और आद्रता 75% से 80% के आसपास होनी चाहिए। प्याज की खेती के लिए जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी, हल्की मिट्टी और काली हैवी मिट्टी पर या फिर उपयुक्त जीवाश्म पदार्थ वाली मिट्टी पर आप प्याज की खेती कर सकते हैं। और मिट्टी का PH Value 5.5-7.5 के आसपास होना चाहिए एवं मिट्टी की वॉटर होल्डिंग कैपेसिटी जितनी अच्छी होगी हमको उतना ही अच्छा उत्पादन मिलने वाला है। यानी यदि आप बरसात के सीजन में प्याज की खेती कर रहे हैं। तो उत्तम जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए यानी खेत पर पानी नहीं रुकना चाहिए यदि पानी रुकता है। तो हमारी फसल तुरंत खराब हो सकती है।

खेत की तैयारी (Form Preparation)

गहराई में चलने वाले फ्लाऊ से आपक पहली जुताई कराना है। उसके बाद कल्टीवेटर में पाटा लगवा कर खेत को समतल करवाएं। एवं रोटावेटर चलाने से पहले एक एकड़ पर तीन से चार ट्राली पक्की गोबर की खाद बिखेर दीजिए इससे आपको बहुत ही अच्छा परिणाम मिलेगा।

बेसल डोज (Besal dose)

प्याज की फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए बेसल डोज एक अभिन्न अंग निभाती है। SSP fertilizer- 100 kg + DAP- 50 kg + MOP- 30 kg + Sulphur 90% WDG- 5 kg पूरे खेत पर प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह से बिखेर कर रोटावेटर से समतल करा दीजिए।

प्याज रोपाई की विधियां (Methods of planting onions)

हमारे भारत में प्याज की अलग-अलग है। विधियों से रोपाई चौपाई की जाती है जैसे बैड विधि से, मैड विधि से, छोटी क्यारियां बनाकर, एवं परंपरागत तरीके से भी आप प्याज की खेती कर सकते हैं। लेकिन यदि आप बरसाती प्याज की खेती कर रहे हैं। तो बैड विधि से या मैड विधि से करते हैं तो आपको उत्पादन काफी अच्छा मिलने वाला है। और कंद का साइज भी काफी अच्छा होने वाला है। बरसात के सीजन में बारिश के कारण प्याज में जो सड़न और गलन की समस्या होती है। बैड विधि के कारण वह समस्या भी नहीं आती। 

पौधे से पौधे की दूरी (Plant Distance)

पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर तक रखना चाहिए।

सिंचाई (irrigation system)

प्याज की फसल पर स्प्रिंकलर से सिंचाई ना करें अगर स्प्रिंकलर से आप सिंचाई करते हैं। तो ड्रिप के मुकाबले उत्पादन घटता है प्याज की फसल पर आप या तो ड्रिप से सिंचाई कर सकते हैं। या फिर फ्लैट इरीगेशन से सिंचाई कर सकते हैं इससे उत्पादन काफी हद तक बढ़ सकता है।

प्याज की उन्नत किस्में (Improve Hybrid Variety)

आपके एरिया में मौसम के हिसाब से तापमान के हिसाब से जो किस्में सूटेबल हो वही लगाना चाहिए। वैसे कुछ किस्में ऐसी है जिन का उत्पादन अच्छा है। 

खरीफ सीजन के लिए

1) एलोरा चाइना किंग

2) पंचगंगा

3) प्रशांत हाइब्रिड

4) प्राची चाइना रेड

रबी सीजन के लिए

1) पूसा रेड

2) पूसा लाइड रेड 

3) जिंदल नासिक रेड N-53

4) भीमा सुपर 

इन सभी वैरायटी को आप सीजन के अनुसार लगा सकते हैं। इन सभी वैरायटी का उपज और उत्पादन काफी अच्छा है।

प्याज की नर्सरी तैयारी (Nursery Preparation)

प्याज की नर्सरी के लिए सबसे पहले जगह का चुनाव किया जाता है। यदि आप बरसाती प्याज की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। तो ऐसी जगह पर अपनी नर्सरी बिल्कुल भी ना डालें जहां बरसात होने पर पानी अधिक देर तक ठहरे प्याज की नर्सरी बैड बनाकर या ढलान नियुक्त जगह पर ही तैयार करनी चाहिए। जिससे बारिश हो जाने पर तुरंत पानी खेत से बाहर निकल जाए। मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए इसके अतिरिक्त अगर खेत में पानी देर तक भरा रहता है। तो नर्सरी में गलन की समस्या भी आ सकती है जिससे हमारी पूरी की पूरी नर्सरी नष्ट हो सकती है। इसलिए जगह का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना है। कि बरसात के पश्चात बरसात का पानी खेत में एकत्रित ना हो खेत में जमीन लेवल से कम से कम 1 फीट ऊंची बैड बनाकर ही नर्सरी तैयार करना चाहिए। 

नर्सरी के लिए खाद

प्याज की नर्सरी बैड पर लगाते समय आप को 4 kg seeds के लिए 20 क्विंटल गोबर की पक्की हुई खाद +DAP =10-12 kg + SSP =25 kg को ठीक तरीके से बिखेर दीजिए।

कितनी जगह पर कितना बीज बोना है।

एक किलोग्राम बीज को 500 से 600 स्क्वायर फीट में बुवाई करें। 

नर्सरी तैयार करने का उन्नत एवं सूटेबल टाइम

खरीफ सीजन के लिए मई-जून का समय उपयुक्त माना जाता है। तथा रबी सीजन के लिए अक्टूबर-नवंबर का समय उपयुक्त माना जाता है।

बैड तैयार

बीजों की बुवाई बैड के ऊपर ही करनी है। इससे 100% जर्मिनेशन होता है और बरसात आने पर भी कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। नर्सरी तैयार करने के लिए बैड की लंबाई और चौड़ाई अपने हिसाब से रख सकते हैं। 15×5, 20×5, 15×7 जैसी लंबाई चौड़ाई आप रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त बैड पर सर्वप्रथम आपको गोबर की खाद मिक्स करना है। और गोबर की खाद का 1 लेयर बिछा देना है। इसके अतिरिक्त SSP, DAP खाद को बैड के ऊपर मिला देना है। 

बीज उपचार (Seeds treatment)

बीजों की बुवाई करने से पहले आपको बीज उपचार करना बहुत जरूरी है। बीज उपचार के लिए Carbendazim + Mancozeb,  1kg बीजो को आप 5 ग्राम UPL SAAF पाउडर से बीजों का उपचार कर सकते हैं। 

प्याज की नर्सरी पर सिंचाई

प्याज की नर्सरी पर वैसे तो कई विधियों से सिंचाई की जाती है। जैसे- फ्लैट एरिगेशन सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, ड्रिप एरिगेशन सिंचाई 

प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता

3/4 kg के आस पास 1 एकड़ पर आपको प्याज की बीज की आवश्यकता होती है।

यदि प्याज की नर्सरी पर सूखने की समस्या है। या फिर ऊपर से जलने की समस्या है तो Preventive के लिए आप Ridomil gold 1/L- 0.5 gm समस्या आने के बाद Amistar top 1/L- 1 ml गंभीर समस्या के लिए Bayer caliente 1L/-2 gm की दर से स्प्रे करें। यदि किसी कारणवश आपके नर्सरी पर पीलापन दिख रहा है। तो NPK 19-19-19, 15 लीटर पानी में 20 ग्राम की दर से 15 से 20 दिन की नर्सरी होने पर स्प्रे करके तुरंत सिंचाई कर दीजिए इससे आपकी नर्सरी काफी जल्द हरी-भरी हो जाएगी। नर्सरी पर कीट नियंत्रण के लिए Imidacloprid 70% 15 लीटर पानी में 4 ग्राम की दर से स्प्रे करें या फिर Synqenta Actara 15 लीटर पानी में 5/6 ग्राम की दर से स्प्रे करें। इससे आप नर्सरी पर कीड़े के प्रकोप से तुरंत नियंत्रण पा सकते हैं। 

चौपाई या रोंपाई (Plantation)

जब हमारी प्याज की नर्सरी की लंबाई 4 से 5 इंच की हो जाए तब खेत में हल्की सी सिंचाई करके प्लांटेशन करना चाहिए। रोपाई पास पास में नहीं करना चाहिए इससे उत्पादन कम होता है। लाइन से लाइन की दूरी लगभग 10 से 12 सेंटीमीटर तक रखना है और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10 सेंटीमीटर रखना है।

खरपतवार की रोकथाम (weed control)

ना केवल प्याज की फसल बल्कि सभी फसल पर खरपतवार एक बहुत ही बड़ा सिर दर्द होता है। प्याज की फसल पर खरपतवार की रोकथाम आप 2 तरीकों से कर सकते हैं। पहला मजदूरों की सहायता से निराई गुड़ाई करवा सकते हैं। दूसरा रसायनिक विधि से खरपतवार की रोकथाम कर सकते हैं। प्याज की फसल पर आप एक तो चौपाई से 20 से 25 दिनों पर तथा दूसरा 40 से 50 दिनों पर दो निराई गुड़ाई करवा सकते हैं। यदि आप रासायनिक विधि से खरपतवार की रोकथाम करना चाहते हैं। तो रोपाई से 1 दिन पहले Pendimethalin 30% EC + Pre-emergent herbicide 1L/200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर के रोपाई करें। इससे खरपतवार नहीं उगता है। यदि आप रोपाई करते समय खरपतवार नाशक का स्प्रे नहीं कर पाए हैं। तो जब आपके प्याज की फसल पौध रोपाई से 20 से 25 दिन की होती है या फिर खरपतवार तीन से चार पत्ती की दिखाई देती हो तब आप खरपतवार नाशक का स्प्रे कर सकते हैं। जैसे Propaquizafop 5% + Oxyflurofen 12% w/a EC + post-emergent herbicide 300ml/200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

स्प्रे शेड्यूल (Spray Schedule)

पहली स्प्रे रोपाई से 20 से 25 दिन की जब हमारी फसल होती है। तब 15 लीटर पानी में Lancergold 30 gm + Syngenta Quantis 40 ml + UPL Saaf 30gm स्टीकर 15ml मिलाकर स्प्रे करें।

दूसरी स्प्रे रोपाई से 35 से 45 दिन की जब हमारी फसल होती है। तब 15 लीटर पानी में Ghardapolice 10 gm + Syngenta karate 30 ml + Amistar top 20 ml + स्टीकर 15 ml की दर से मिलाकर स्प्रे करना है। 

तीसरी स्प्रे रोपाई से 55 से 70 दिन की जब हमारी प्याज की फसल होती है। तब 15 लीटर पानी में Syngenta Cultar 7ml + Dow Delegate 8/10ml + Dhanuka conical 30 gm + स्टीकर 15ml की दर से मिलाकर स्प्रे करना है। 

खाद सेड्यूल (Fertigation Schedule)

1st खाद :- जब हमारी प्याज की फसल रोपाई से 20 से 25 दिन की होती है। तब NPK 10-26-26 =50 kg + यूरिया खाद =45 kg + माइक्रोन्यट्रिएंट्स फर्टिलाइजर्स =5 kg प्रति एकड़ की दर से जड़ों के पास देकर सिंचाई करें।

2nd खाद :- जब हमारी प्याज की फसल रोपाई से 40 से 50 दिन की होती है। तब यूरिया खाद = 30 kg + Sulphur =5kg + Humic Acid =1kg प्रति एकड़ की दर से जड़ों के पास देकर सिंचाई करें। 



उत्पादन ( Per Acre Production)

130/150 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उत्पादन निकाल सकते हैं।

लागत (Cost)

25000-3000₹ हजार 1 एकड़ में खर्च आने वाला है।

जीवन चक्र (Life cycle)

130-135 दिन में प्याज की फसल तैयार होती है।

आमदनी (Benefits)

1 एकड़ पर 1.5/2 लाख रुपए तक मुनाफा निकाल सकते हैं।


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