आज हम लौह भस्म के फायदों के बारे में जानने वाले हैं।

इसे कई नामों से जाना जाता है। जैसे कई जगह से लोहा भस्म के नाम से जाना जाता है। तो कई जगह से कुश्ता फौलाद के नाम से भी जाना जाता है। इसका हम किसी भी प्रकार की बीमारी में किसी ना किसी अनुमान के साथ इस्तेमाल करके इसका लाभ उठा सकते हैं। अधिकतर बीमारियों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। और इसका बहुत जल्दी लाभ मिलता है आज हम आपको नहीं बीमारियों के बारे में बताने वाले हैं। जिससे आप उन बीमारियों में इसका इस्तेमाल करके लाभ उठा सको।



लौह भस्म की मात्रा और इसे किस चीज के साथ इस्तेमाल करनी है।

लौह भस्म की 125 मिलीग्राम से लेकर 250 मिलीग्राम तक सुबह शाम शहद में मिलाकर या मलाई में मिलाकर या मक्खन में मिलाकर या गुलकंद में मिलाकर या आंवले के मुरब्बे में आंवले की बीज को निकाल कर के या चमनपरास में मिलाकर या किसी प्रकार की औषधियों से बनी शर्बत में मिलाकर इसका इस्तेमाल करके आप लाभ उठा सकते हैं। अपने बीमारी के अनुसार आपको जिस वस्तु के साथ और जितनी मात्रा में कहा जाए उतनी मात्रा में इसका इस्तेमाल करके आप लाभ उठा सकते हैं।

125 मिलीग्राम का मतलब होता है एक चुटकी और 250 मिलीग्राम का मतलब होता है दो चुटकी।

अधिकतर बीमारियों में दिन में दो बार सुबह शाम इसका इस्तेमाल करना होता है। परंतु कुछ ऐसी ही बीमारियां होती है। जिनमें इसका इस्तेमाल दिन में तीन बार यानी सुबह दोपहर और शाम को किया जाता है। अधिकतर बीमारियों को यह मात्र 2 से 3 महीनों में समाप्त कर देता है। परंतु कुछ जो ला ईलाज बीमारी होती है। उसमें इसे कुछ महीनों का समय लग जाता है। परंतु या उन्हें भी बिल्कुल जड़ से खत्म कर देता है। और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

एनीमिया या खून की कमी को कैसे दूर करें

एनीमिया या खून की कमी को दूर करने में लौह भस्म का इस्तेमाल बहुत ही आसान है। आंवले का मुरब्बा के अंदर की बीज को निकाल के फेंक दें और आंवले को अच्छी तरह से धो लें कुछ आंवले के मुरब्बे में एक चुटकी लौह भस्म डाल दें सुबह खाली पेट इसका सेवन करें दिन में एक बार इसके सेवन मात्र से ही एनीमिया की शिकायत दूर हो जाती है।

शुगर की बीमारी में आप मीठे का सेवन नहीं कर सकते या किसी कारणवश आप अगर मीठे का सेवन नहीं करते हैं। तो 50 ग्राम आंवला का पाउडर ले उसमें 10 ग्राम लौह भस्म डालकर अच्छे से मिला ले इसमें से चौथाई चम्मच पाउडर आप गुनगुने पानी के साथ या गुनगुने दूध के साथ सुबह खाली पेट इस्तेमाल करने से आपको बहुत अधिक लाभ मिलेगा और आपकी एनीमिया की शिकायतें दूर हो जाएगी।

रक्त विकार के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है

रक्त की विकारों को दूर करने के लिए या रक्त की शुद्धि के लिए आपको सूखे करेले 50 ग्राम गिलोय 50 ग्राम मनजीस्ट 50 ग्राम इन तीनों चीजों को अच्छी तरह से पीसकर पाउडर बना लें और इसमें 20 ग्राम लौह भस्म की मात्रा डालें और इसे अच्छी तरह से मिला लें। इसे किसी डब्बे में बंद करके अच्छी तरह से रख ले। रोज सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ इसका इस्तेमाल करने से रक्त की शुद्धि हो जाती है इराक की सारी विकार दूर हो जाती है। 

उन्माद रोग के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है।

आज के समय में बहुत अधिक लोगों को उन्माद रोग की समस्या है। उन्माद रोग में रोगी के दिमाग में बेचैनी सी रहती है। किसी भी काम में मन नहीं लगता है इसे हम एक तरह का पागलपन रोग भी कह सकते हैं। उमा जरा जरा सी बात पर गुस्सा करने लग जाते हैं। जरा जरा सी बात पर हंसने लग जाते हैं। जरा जरा सी बात पर मारने पीटने लग जाते हैं। उन्माद रोग कई प्रकार के होते हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार का उन्माद रोग की शिकायत है। सबसे पहले जो दवाई उस रोगी को चल रहा है। उसे बंद नहीं करना है इन दवाइयों के साथ हैं। उसका यह इलाज चलाना है। आपको दम्मी घास 50 ग्राम लेनी है। अश्वगंधा की जड़ 50 ग्राम और गुड वच 50 ग्राम तीनों को अच्छी तरह से पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर में 20 ग्राम लोह भस्म मिलाकर रख लें चौथाई चम्मच सुबह चौथाई चम्मच दोपहर को और चौथाई चम्मच शाम को गाय के हल्के गुनगुने दूध के साथ सेवन करना शुरू कर दें। इससे आपके उन्माद के रोग कुछ समय के बाद बिल्कुल जड़ से खत्म हो जाएंगे।

धातु दुर्बलता को कैसे दूर करें।

हमारे शरीर में सप्त धातु होती है। जैसे- रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र। अगर किसी भी कारणवश आपके शरीर में इन सब धातुओ में से किसी भी धातु की कमी हो जाती है। या किसी बीमारी के कारण वश वह धातु नहीं बन पाता है या कम होता जा रहा है। तो उनके लिए लौह भस्म का प्रयोग करना बहुत ही फायदेमंद है। लौह भस्म 20 ग्राम अश्वगंधा की जड़ 20 ग्राम खरैटी के बीज 20 ग्राम इन सभी को पीसकर के अच्छी तरह से पाउडर बना लें। पाउडर बनाकर इन पाउडर को चौथाई चम्मच सुबह एक चौथाई चम्मच शाम को गाय के गुनगुने दूध के साथ खाना खाने से 1 घंटे पहले इस्तेमाल करें। इससे आपके शरीर में किसी भी प्रकार की धातु की कोई कमी नहीं होगी।

संग्रहणी (IBS) को कैसे ठीक करें

जब हमारी बड़ी आत में संकुचन या फैलाव अच्छे से नहीं हो पाता तो इस समस्या को हम संग्रहणी(IBS) कहते हैं। अगर हम इसे सिंपल भाषा में हमारी आते सही ढंग से काम नहीं करती है। और हमें बार-बार मल त्याग करने के लिए जाना पड़ता है। जिस कारण हमारे शरीर से ताकत खत्म होती चली जाती है। तथा रोगी को कब्ज की शिकायत भी देखने को मिल जाती है। इस रोग के रोगी के लिए लौह भस्म बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता है। इसकी दवाई बनाने के लिए आपको 10 ग्राम लोग भस्म लेना है और जीरा जो हम मसाले के रूप में घर में इस्तेमाल करते हैं। उसकी पाउडर तैयार कर लेनी है और 50 ग्राम सोफ का पाउडर बनाकर तैयार करना है। इन तीनों को अलग अलग रखना है। 50 ग्राम सफेद बैल को लेकर अच्छी तरह से पाउडर बनाकर इन्हें भी अलग रखना है। अब इन सभी पाउडर को आपस में मिक्स कर दे। इस पाउडर को एक चम्मच सुबह एक चम्मच शाम को खाना खाने के 1 घंटे बाद दही से बनी लस्सी के साथ लेने से आपकी संग्रहणी की समस्याएं दूर हो जाएगी।

मंदागिनी की समस्या को कैसे ठीक करें

मंदागिनी कि जब समस्या होती हैं। तो बच्चे की कद बढ़ना रुक जाता है। ऐसे में बच्चे का ग्रोथ सही ढंग से नहीं हो पाता। इसके लिए आपको सोठ 20 ग्राम काली मिर्च 20 ग्राम मग पीपल 20 ग्राम तीनों को पीसकर पाउडर बनाना है। इस पाउडर में 10 ग्राम लौह भस्म मिलाकर इसे किसी डब्बे में अच्छे से रख लें इसे सुबह और शाम एक चम्मच देस घी के साथ सेवन करना है। अगर आपको देसी घी पसंद नहीं है। तो आप शहद के साथ भी इसका सेवन कर सकते हैं। और ऊपर से गाय का गुनगुना दूध पी ले ऐसा करने से आपकी समस्याएं दूर हो जाएगी।

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