चने की खेती के लिए अनुकूल समय (Suitable Time):-

15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक आप चने की बुवाई कर सकते हैं।



चने की फसल के लिए मिट्टी, जलवायु तापमान और मौसम (Soil, Claimate conditions and Temperature) :-

चने की फसल के लिए काली मिट्टी, पीली मिट्टी, चिकनी मिट्टी तथा दोमट मिट्टी और जीवाश्म पदार्थ वाली मिट्टी जिसका PH मान 5.5 से 7.5 हो उपयुक्त मानी जाती है। न्यूनतम तापमान 15°-18°C तक और अधिकतम तापमान 30°-35°C तक अनुकूल माना जाता है। चना एक शुष्क एवं ठंडी जलवायु का फसल है। इसे रवि के मौसम में उगाया जाता है। चने की खेती मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र में जहां सलाना 60-90 cm की दर से बरसात होती है। वहां पर आप चने की खेती कर सकते हैं चने की खेती और सिंचित स्थानों पर भी आप कर सकते हैं। चने की फसल में फूल आने के बाद वर्षा नहीं होनी चाहिए और आपको सिंचाई भी नहीं करनी चाहिए फूल आने के बाद यदि आप सिंचाई कर देते हैं या वर्षा हो जाती है तो फसल उत्पादन में काफी गिरावट देखने को मिलती है। खेतों में उत्तम जल निकास का प्रबंध होना चाहिए और वॉटर होल्डिंग कैपेसिटी अच्छी होनी चाहिए।

चने की बुवाई के लिए खेत की तैयारी (Form Prevention):-

सर्वप्रथम मीडियम गहराई में चलने वाले हल कल्टीवेटर से आपको पहली जुताई कराना है। और गोबर की खाद दो से तीन ट्राली खेत में बिखेर कर दोबारा अच्छी तरह से जुताई के बाद रोटावेटर से समतल करा दीजिए।

बेसल डोज (Besal dose):-

SSP दानेदार खाद 50 kg + MOP (Potash) 20 kg + चना की बीज 30 kg इन तीनों को अच्छी तरह से मिक्स करके सीडल विधि से प्रति एकड़ की दर से बुवाई कर देना है।

चने की उन्नत किस्में (improve Hybrid variety):-

RBG-202, RBG-203

दफ्तरी चना- 21

जबलपुरिया- 315

JG- 12 & JG- 13

इन सभी variety को मिट्टी और सिंचाई को ध्यान में रखते हुए ही चयन करना चाहिए। क्योंकि कुछ Early variety होती है कुछ Late variety होती है। तो कुछ सिंचित स्थानों के हिसाब से तथा कुछ असिंचित खेती के हिसाब से भी variety का आपको चयन करना चाहिए। जो आपके क्षेत्र में अधिक उत्पादन देने वाली variety हो उन्हीं का आपको चयन करना चाहिए।

बीज उपचार (Seeds treatment):-

चने का बीज उपचार करना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि बीज उपचार से आप OKTHA रोग पर नियंत्रण कर पाएंगे और बीज का जर्मिनेशन भी स्वस्थ होगाबीज उपचार करने के लिए आप Bayer gaucho से 1kg बीजो को 5ml की दर से उपचार करें। इसके बाद रायजोबियम से 1kg बीज को 10 gm की दर से उपचार करे। उपचार करने के बाद 30 से 35 मिनट तक छांव में सुखाना है। बाद बुवाई कर देना है इससे OKTHA पर काफी हद तक कंट्रोल मिल जाएगा। और बीजों की जर्मीनेशन पर भी काफी अच्छा रिजल्ट मिलेगा।

चने की बुवाई कितनी कितनी दूरी पर करनी है। (Sowing Distances):-

सबसे पहले आपको खेत में पलेवा करना है। इसके बाद ही आपको बुवाई करनी है। बुवाई सिडेल मेथड से करना है और लाइन से लाइन की दूरी 10 से 12 इंच रखना है और गहराई 8 सेंटीमीटर रखना है।

चने की फसल पर सिंचाई (Irrigation system):-

चने की खेती में सिंचाई एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। पहली सिंचाई जब चने की फसल बुवाई से 40 से 45 दिन की हो जाए और फूल आने से पहले करनी है। याद रखें फूल आने के बाद भूल कर भी चने की फसल पर सिंचाई नहीं करनी है। चने की सिंचाई मिट्टी पर निर्भर करती है। अगर भारी मिट्टी है तो एक सिंचाई ही करनी है। अगर हल्की मिट्टी है तो दो बार तक सिंचाई करनी पर सकती है। चने की फसल आप और असिंचित दशा में भी उगा सकते हैं। केवल नमी हो और आप चने की बुवाई कर दीजिए तो भी आप पर्याप्त मात्रा में चने का उत्पादन ले सकते हैं। चना ही केवल एक ऐसी फसल है जिससे आप बिना सिंचाई के भी उत्पादन निकाल सकते हैं।

खरपतवार की रोकथाम (Weed Control):-

चने की फसल पर खरपतवार एक बहुत ही बड़ा सिरदर्द होता है। वैसे खरपतवार तो सभी फसल पर बहुत ही बड़ा सिर दर्द होता है। खरपतवार बहुत ही जरूरी है। जहां तक संभव हो मजदूरों की सहायता से ही निराई गुड़ाई करवाएं यदि पर्याप्त मात्रा में मजदूर नहीं है। तो ही आप रसायनिक प्रयोग करें। रसायनिक के लिए आपको Pendimethalin 30%EC बुवाई के 2-3 घंटे में 1L/-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे कर दीजिए। इसके प्रयोग से खरपतवार 40 दिन तक जर्मिनेट  ही नहीं होंगे। 

प्रति एकड़ बीज की जरूरत (Per Acre Seeds):-

30 kg /- Per Acre

देशी चना 40 kg /- Acre

कीटों की पहचान और उनकी रोकथाम:-

चने की फसल पर फली छेदक illi आती है Afaid आता है, जड़ काली पड़ना, और सबसे बड़ी समस्या हरी लट का होता हैं।

उक्ठा रोग की रोकथाम :-

आपने अक्सर देखा होगा कि पौधा पहले मुड़झाता है। और बाद में पूरा का पूरा पौधा सूख जाता है। किसी भी प्रकार का कीट का प्रकोप नहीं रहता है। सूखने से बचाने के लिए आप चाहे तो सिंचाई के समय 1kg - TRICODERMA + 2 kg गन्ने का गुड को 200 लीटर पानी में घोलकर जड़ों के पास दीजिए इसके अलावा आपको मिट्टी का शोधन करना है। और अच्छी वैरायटी का प्रयोग करना है तथा एक निश्चित गहराई पर ही बुआई करना चाहिए ज्यादा ऊपर बुवाई करने से भी या समस्याएं आ जाती है और सिंचाई पर विशेष ध्यान रखिए।

स्प्रे शेड्यूल (Spray Schedule):-

चने की फसल पर पहली स्प्रे:-

जब चना बुवाई से 20-25 दिन की होती है। तब पहली स्प्रे करने चाहिए पहली स्प्रे के लिए Emamection benzoate 5% SG 8 gm + Tebuconazole 10% + Sulphur 65% WG-40gm 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे कर देना है।

चने की फसल पर दूसरी स्प्रे:-

चने की फसल बुवाई से 40 से 45 दिन की होती है। तब दूसरी स्प्रे करनी चाहिए दूसरी स्प्रे के लिए यदि चने पर कम ईल्ली है। तो Emamectin benzoate 5% SG 8 gm + Fantac plus - 10ml + चमत्कार 8 ml 15 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। यदि चने की फसल पर अधिक ईल्ली हैं। तो Syngenta Ampligo 8/10ml + fantac plus - 10 ml + चमत्कार 8 ml 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। इससे दाने की संख्या भी अच्छी तरह से भरेगी और फल फूल की संख्या भी अच्छी तरह से आएगी।

चने की फसल पर खाद का शेड्यूल (fertilizers Schedule):-

चने की फसल पर जो भी खाद्या या न्यूट्रिशन हम देते हैं। अगर उसे बुवाई के समय पर ही दे दिया जाता है तो काफी अच्छा बेनिफिट मिलता है। चने की फसल पर बुवाई के बाद किसी भी प्रकार की खाद की आवश्यकता नहीं होती है यदि आपको किसी प्रकार की कमी दिख रही है। 20-35 दिनो के माध्य तो यूरिया-20 kg + Sulphur-5kg प्रति एकड़ की दर से जड़ों के पास देकर सिंचाई करें। 



चने का उत्पादन (Production):-

15-16 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से निकाल सकते हैं। उत्पादन मिट्टी और वैरायटी पर निर्भर करता है। कुछ हमारे अनुसार अगर बताए हुए नियमों के अनुसार है। आप न्यूट्रिशन की कमी को पूरी करते हैं तो उत्पादन बढ़ भी सकता है।

फूल की अवस्था में सावधानियां:-

जब चने की फसल Flowering Stage पर होती है। तो तो आपको भूल कर भी सिंचाई नहीं करनी है। Flowering stage में बरसात काफी नुकसानदायक हैं। Flowering stage में हैवी कीटनाशक का प्रयोग ना करें नाइट्रोजन का भी प्रयोग ना करें और चने की ऊपरी इससे भी नहीं तुर्वाणी है जिसे हम भाजी कहते हैं। जो भी भाजी तूड़वाना है। वो Flowering stage से पहले तुड़वा लीजिए इससे नए-नए ब्रांचिस आती हैं। इसके अतिरिक्त Coper oxicoloride का भी Flowering stage पर स्प्रे नही करनी है।

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