दोस्तों आज हम तुलसी के बारे में बात करने वाले हैं। 

तुलसी को तुलसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि आयुर्वेद में ऐसी कोई और भी नहीं है।जिसकी तुलना किसी भी प्रकार से तुलसी से की जाती है।

तुलसी कई प्रकार की पाई जाती है परंतु भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के तुलसी पाई जाती है

Types of mint


  1. राम तुलसी / श्री तुलसी- इसकी प्रतियां हरे रंग की होती है
  2. कृष्णा तुलसी / श्याम तुलसी - इसकी पत्तियां जामुनी रंग की होती है।
  3. वन तुलसी - इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होती है।

तीनोंं प्रकार के तुलसी में क्या अंतर है-

तुलसी में विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स होते हैं। जो बहुत सारे विभिन्न भी तरीकों से अपने फाइटोकेमिकल्स कंसंट्रेशन के कारण आपके शरीर को अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाते हैं।

तुलसी में दो मुख्य तत्व होते हैं जो है ईजीनोन जो एक बहुत ही बेहतरीन किशन का एंटीसेप्टिक होता है। दूसरा है रोज मेरेनिक एसिड जो एक बेहतरीन किस्म का एनजीओ इलेक्ट्रिक होता है। अर्थात दिमाग के लिए बहुत अच्छा होता है।

शुरुआत दिमाग से करते हैं आजकल के जमाने में अती की पढ़ाई और अती कैरियर ऑप्शंस और एस प्रेशर की वजह से साइकोलॉजिकल स्ट्रेस बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। जिसकी वजह से एंग्जाइटी स्ट्रेस और डिप्रेशन की परेशानी है। यह लगभग-लगभग सभी को रहती है। पर तुलसी की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि तुलसी एक बेहतरीन एडेप्टोजन होता है। जो आपके शरीर में जाकर सीधे-सीधे कॉर्टिकॉस्टरॉन को कम करना शुरू कर देता है। जिसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपका मूड अच्छा रहने लगता है और मूड स्विंग्स होता है। बिना किसी वजह के चिड़चिड़ा रहती है वो होना बंद हो जाती है। इसके अलावा क्योंकि तुलसी एक बेहतरीन ट्रॉपिक होता है। तुलसी लेने से आपका कॉग्निटिव फंक्शन है। यह हर तरह से बेहतर होना शुरू हो जाता है। ऐसे चीज को जरा सा समझ भी लिखिए कॉग्निटिव फंक्शन का बेहतर हो जाने से मतलब है। कॉग्निटिव फ्लैक्सिबिलिटी का बढ़ जाना एक समय में एक से ज्यादा चीजों को कर पाना या न कर पाने की काबिलियत बढ़ जाएगी। इसके अलावा आपकी मेमोरी भर जाएगी जिसकी वजह से आप का अटेंशन बढ़ जाएगा। 

सवाल उठता है कि वर्किंग मेमोरी और अटेंशन स्पैन बढ़ जाने से क्या होगा? 

इससे यह होगा कि आप बेहतर तरीके से अपने काम पर कॉन्सन्ट्रिक कर पाएंगे चीजों को अच्छी तरह से याद कर पाएंगे और उन्हें अच्छी तरह से याद रख पाएंगे जिसकी वजह से आपकी ओवर ऑल प्रोडक्टिविटी बढ़ जाएगी। इसके अलावा तुलसी लेने का एक बहुत बड़ा फायदा यह भी होता है। कि जब आप सोते हो तो आपको बहुत ही गहरी नींद आती है। और जब आप जागते हो तो एकदम तरोताजा और जोस से भरपूर होते हो। सुबह-सुबह जागने के बाद जो आना चाहता है वह फिर आना बंद हो जाता है। एक चीज चलिए और भी बता देता हूं वह लोग जो टेंशन लेते हैं या फिर किसी भी तरह का एंटीडिप्रेसेंट्स आम तौर पर लेते हैं। आप इन दवाइयों के साथ-साथ नेचुरल फॉर में तुलसी लेना शुरू कर दीजिए और आपकी इन चीजों को लेने से यह 2 से 3 महीने के अंदर-अंदर खत्म हो जाएगी और मुंह से संबंधित सबसे बड़ी परेशानी होती है। दातों का सड़ना, मुंह में छाले होना और सांस में बदबू आना और इन तीनों ही तरह की परेशानियों के लिए कुल मिलाकर यह किया जाता है कि वन तुलसी के पत्तों को छाया में सुखा लिया जाता है। और उसका पाउडर बना लिया जाता है और सुबह जब दांत साफ़ किए जाते हैं। तब 1 ग्राम तुलसी के पत्तों के पाउडर में 8 ग्राम सरसों का तेल मिला लेते हैं। और उससे मंजन कर लेते हैं। इसके अलावा अगर पायरिया है और दांतो पर जो खट्टा या ठंडा लगता है। आप केवल इस तरह से मंजन करना शुरू कर दीजिए और यह परेशानियां जड़ से खत्म हो जाएंगी। आब आजाइए डाइजेस्टिव सिस्टम पर और देखे तुलसी जो है यह पेट की छोटी मोटी परेशानिया जैसे कि पेट में दर्द होना ठीक है। सो जाना, जी मिचलाना, उल्टी आना या किस पर दस्त लगने जैसी परेशानियों को वैसे ही सही कर देती है। इसके अलावा खट्टी डकार के लिए यह लोग जिन्हें आमतौर पर थोड़ी बहुत एसिडिटी रहती है। एसिड रिफ्लक्स के लिए जिसमें आम तौर पर खट्टी डकार आती है और ऐसा लगता है। जैसे पूरे गले में आग लग चुकी है इन तीनों ही तरह के मामलों में तुलसी की कोई काट नहीं है। इसके अलावा तुलसी की एक बहुत ही बड़ी खासियत के भी होती है कि तुलसी जो है आपके लीवर की एफिशिएंसी बढ़ा देती है। लीवर के बहुत सारे फंक्शन होते हैं। जिसमें से एक फंक्शन होता है। शरीर को डिटॉक्सिफाई करना और लिवर क्या करता है कि जितने भी डॉक्सिस आपके शरीर में जाते हैं। लिवर उन्हें एक जॉब करता है। प्रोसेस करता है। डिटॉक्सिफाई करता है और उन्हें शरीर से बाहर भेज देता है। क्योंकि तुलसी अपने आप में एक बेहतरीन डिटॉक्सिफाइंग एजेंट होता है। जब आप तुलसी लेते हो तो आपको सिलाजिस्म का फायदा मिलता है या नहीं 1 और 1=11 हो जाता है ।सवाल ये उठता है कि डिटॉक्सिफिकेशन पर इतना ज्यादा दूर क्यों दिया जाता है और देखिए आप इस चीज को जरा सा ऐसे समझ कर देख लीजिए आजकल हमारे खाने में बहुत सारे तरह के प्रोसेस फूड और पैकेज्ड फूड आ चुके हैं। और उनमें बहुत सारे तरह के प्रदर में टेस्ट और इंडस्ट्रियल केमिकल्स होते हैं। जो हर तरह से हमारी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। इस चीज को भी समझिए कि ऐसा हो सकता है कि आप किसी भी तरह के प्रोसेस फूड या पैकेज्ड फूड नहीं लेते हो पर अगर आप फल हरी सब्जियां भी खाते हैं। तो देखिए उनमें भी फ़र्टिलाइज़र और पेस्टिसाइड तो होते ही हैं और अच्छी खासी मात्रा में होते हैं और इन सभी चीजों से हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए शरीर को डिटॉक्सिफाई करना और डिटॉक्सिफाइड रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। इसका सबसे आसान तरीका होता है। तुलसी लेना आप आ जाइए किडनी पर और देखिए तुलसी जो है यह एक बेहतरीन डायरेक्ट होती है जो आपके खून में फ्लऊड मिनरल्स और यूरिक एसिड को बैलेंस रखती है। इस को भी समझिए खून में यूरिक एसिड बढ़ जाना किडनी में स्टोन हो जाने की सबसे बड़ी वजह होती है। क्योंकि तुलसी यूरिक एसिड के लेवल को नार्मल कर देती है और उनको नॉर्मल ही रहती है और क्योंकि यह एक बेहतरीन डायलेक्टिक होती है। अगर आप तुलसी लेते हैं। तो किडनी के स्टोन हैं वो युरिन के जरिए बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा यूरिक एसिड के लेबल्स को नार्मल करती है और उन्हें नॉर्मल ही रखती है। तुलसी 3 तरह के लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है ,जिन्हें डायबिटीज है, जिन्हें किसी भी तरह का मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जो बॉडीबिल्डिंग करते हैं और बहुत सारे तरह का प्रोटीन प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेते हैं। वह लोग जो ज्यादा प्रोटीन लेते हैं। उनके खून में यूरिक एसिड की कॉन्टिटी बढ़ जाती है। जिसकी वजह से बहुत सारी तरह की बीमारियां हो जाती हैं। आब आ जाइए रेस्पिरेटरी सिस्टम पर ,तुलसी जो है यह रेस्पिरेट्री सिस्टम के लिए कितनी ज्यादा फायदेमंद होती है इस चीज को आप ऐसे समझ कर देख लीजिए कि आयुर्वेद की ऐसी कोई दवाई हो ही नहीं सकती जिससे किसी भी तरह के रेस्पिरेट्री डिसऑर्डर्स रेस्पिरेट्री डिजीज के लिए बनाया गया हो और उसमें तुलसी ना हो इसके अलावा क्योंकि तुलसी एक बेहतरीन एक्सपेक्ट्रेंट होती है। या नहीं कब ढीला कर कर शरीर से बाहर निकाल देती है। तुलसी ना केवल साधारण सर्दी खांसी और जुकाम को सही कर देती है। बल्कि अपनी बैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज की वजह से ट्यूबरक्लोसिस के पेशेंट के लिए भी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है। अब आ जाइए कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर और देखे तुलसी जो है। यह आपकी लिपिड प्रोफाइल को बेहतर करती है। या नहीं अगर आप रेगुलर तुलसी लेते हो तो इसकी वजह से आपका सीरम कोलेस्ट्रॉल ट्राइग्लिसराइड फास्फोलिपिड्स और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होता ही होता है। तुलसी लेने का एक बहुत बड़ा फायदा आपके शरीर में एच डी एल कोलेस्ट्रॉल जो कि एक अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है। उसको बहुत अच्छी तरह से बढ़ा देती है और इसका सबसे बड़ा फायदा ही होता है कि ब्लड कोलेस्ट्रॉल केमिकल और पॉल्यूशन की वजह से ब्लड वेसल्स में जो कठोरता जाती है। ऐसे रोज क्लॉथस कहते हैं। वह नहीं आ पाती और ब्लड वेसल जो है। यह कैसी हुई और लचीली बनी रहती है। इस समय की ब्लड वेसल्स में जो कठोरता आती चली जाती है। उसकी एक वजह उम्र भी होती है पर अगर आप तुलसी लेते रहते हैं। तो आपकी ब्लड वेसल्स में कसावट और लचीलापन जो है। वह ज्यादा लंबे समय तक बना रहता है। यह है आपका स्टैमिना भी बहुत ज्यादा बढ़ा देती है।

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