शंख क्या होता है ?

शंख तो आपने देखा ही होगा। मंदिरों में पूजा और आरती  समय इसको बजाया जाता है। वातावरण भी इसकी आवाज से शुद्ध हो जाता है। और सबसे बड़ी बात कि पूजा भी इसी से सफल होती है। और मंदिरों के अलावा घरों में भी हम पूजा स्थल पर इसको रखते हैं। यह समुंदर में पाया जाने वाला जीव है।



शंख कितने प्रकार के पाए जाते हैं ?

दो प्रकार का शंख पाया जाता है। एक दक्षिणावर्ती शंख और दूसरा सीमावर्ती शंख। सीमावर्ती शंख बहुत दुर्लभ पाया जाता है। अगर हम  सीमावर्ती शंख अपने घरों में मंदिरों में रखते हैं। तो कभी भी घर में लक्ष्मी की कमी नहीं होती। हमेशा धन की वर्षा होती रहती है। कहते दक्षिणावर्ती शंख से लक्ष्मी को बहुत प्रसन्न रहती है। जिनके पास दक्षिणावर्ती शंख होता है उन पर लक्ष्मी जी का सदा ही प्रसन्नता बनी रहती है व हमेशा उनके घर में बास करती है कभी उनसे रूस्ठ नहीं होती है। 

कौन से शंख को हम औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं ?

वामवर्ती शंख का प्रयोग शंख भस्म बनाने में औषधियों में डालने में और  आयुर्वेदि की बहुत सारी औषधियों में किया जाता है। जिससे तरह-तरह की बीमारियों को दूर किया जाता है। बहुत अच्छी मात्रा में इसमें कैल्शियम पाया जाता है। हम खाना खाते हैं। तरह-तरह के केमिकल से बनी हुई गोलियां या कैपसूल का इस्तेमाल करते हैं। उनका कोई ना कोई साइड इफेक्ट होता है। परंतु इसका किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। आप इसको कई बीमारियों में इस्तेमाल कर सकते हैं।

कितनी मात्रा में शंख भस्म का प्रयोग करना चाहिए ?

कौन सी बीमारी में किस अनुपात के साथ इस्तेमाल करना है। 250 मिलीग्राम से लेकर 500 मिलीग्राम तक आप इसे सेब के मुरब्बे में या बेल के मुरब्बे में या गुलकंद में या औषधियों के बने शरबत में या औषधियों के पाउडर के साथ या शहद में मिलाकर या घी में मिलाकर मक्खन में मिलाकर मलाई में मिलाकर या गुलकंद में मिलाकर या चवनप्राश में मिलाकर किसी भी बीमारी के अनुसार जो अनुमान बनता है। उसके साथ मिलाकर इसका इस्तेमाल करके अपनी बीमारी को नष्ट कर सकते हैं। 

250 mg में दो चुटकी आ जाती है। और 500 mg में 4 चुटकी बनती है। अगर आपने इस्तेमाल करना दो चुटकी मतलब 250 mg और 4 चुटकी मतलब 500 mg सुबह शाम कर सकते हैं। ज्यादातर बीमारियों को दिन में दो लगातार तीन महीने तक इस्तेमाल करने से रोग पूरी तरह से नष्ट हो जाता है और उसकी किसी प्रकार की कोई आदत भी नहीं पड़ती है बस इसको सही अनुमान के साथ ले ताकि हमारा रोग पूरी तरह से नष्ट हो सके। 

शंख भस्म कैसे बनाई जाती है ?

सबसे पहले तो उसको शुद्ध किया जाता है शांख ले। जहां से फूकते है उस जगह को नाभी बोला जाता है। बाकी हिस्से को हटा दिया जाता है। केवल नाभि का इस्तेमाल किया जाता है। भस्म बनाने में तो इस तरह की नाभि को अपने 1 किलो लेना है। 1 किलो लेकर और उसे अपने मिट्टी के घड़े में डालना है। अब उसमें 2 लिटर नींबू का रस डालना है। नींबू का रस 2 लीटर बनाने के लिए आप को कम से कम 4 से 5 किलो नींबू काट के उसको निचोड़ कर उसको छान ले तब आपके पास 2 लीटर नींबू का रस तैयार हो जाएगा। उस रस को डाल के उसमें 8 लीटर पानी डालना है। और 1 घंटे तक उसको पूरी तरह से उबाल लीजिए। अच्छे से पक जाए तो उसे नीचे उतार के गर्म पानी से धोकर उसे छाया में सुखा लीजिए। शोधन विधि मतलब आपने शंखनाद को भी शुद्ध कर लिया है। अब किसी तरह का इसमें विषैला तत्व नही है। किसी प्रकार का नुकसान दायक तत्व नहीं है। 



शंख भस्म बनाने का दूसरा विधि ?

दूसरा विधि उसको लेकर आपने एक मिट्टी के घड़े में डालना है और उसमें लगभग 3 लीटर अपने एलोवेरा का रस डालना है। एलोवेरा का रस नहीं हो तो कोई बात नहीं आप के छत पर एलोवेरा का पौधा लगा हुआ होगा। ज्यादातर लोग लगाते हैं। अपने घरों के ऊपर तो वैसे ही बहुत काम आता है। उसके बाद अब क्या करना उसको चीर के उसका जो गुद्धा निकलेगा  लगभग 3 किलो के करीब आपने गुद्धा उस में डाल देना है। या तो एलोवेरा का रस डालना 3 किलो  उसमे डाल देना है। फिर इसे तार बांध देना है। व चारों तरफ से पाथि गोबर से बने हुए उपले 10 किलो लेने है। याद रखे उसके चारों तरफ से आपने उपले से ढक देना है। और नीचे वाले उपले को आग लगा देनी है। जब अच्छी तरह से जल जाए पर जब बिल्कुल राख हो जाए और राख ठंडी हो जाए। निकालकर उसमें से भस्म के  सफेद सफेद से टुकड़े निकलेंगे। टुकड़े को मिक्सी में डालकर अच्छे से ले इस प्रकार सफेद रंग की भस्म तैयार हो जाएगी 

शंख भस्म को हम कैसे रख सकते हैं ?

इससे आप किसी भी कंच की बोतल में डाल कर रख सकते हैं। और सालों साल रख सकते है। यह कभी खराब होता ही नहीं होता हैं। जितना पुराना होता जाएगा उतना ही गुण और बढ़ता चला जाएगा। 

पेट की मरोड़ में या संग्रणी में शंख भस्म का प्रयोग ?

संग्रहणी में लोगों को पेट में मरोड़ पड़ती है। आप संकुचन अच्छे से नहीं कर पाती फैलती बड़ी आन्ते एकदम से बंद नहीं हो पाते। जिससे पाचन अच्छे से नहीं हो पाता। और जो इस से पीड़ित रोगी है। उस रोगी को  दस्त की शिकायत होती है। पेट में मरोड़ दर्द और दस्त की शिकायत होती है। उसके शरीर का वजन दिन प्रतिदिन खत्म होता चला जाता है। कुछ रोगी को कब्ज की शिकायत हो जाती है। संख गृहिणी में सभी प्रकार के रोगी इसका इस्तेमाल कर सकते है। ऐसी दशा में कैसे स्तेमाल करे। आपने बेल का मुरब्बा लेना है। लगभग 3 इंच का टुकड़ा  मिक्सी में चटनी बना लीजिए तो उसमें आप चार चुटकी संख गृहिणी का भस्म  डालकर चटनी आप खा लीजिए। ऐसा दिन में दो बार करिए खाना खाने के आधे घंटे बाद तो आपकी अंतरिम को यह ताकत देगा और संख गृहिणी आपको छुटकारा दिलाने में आपकी बहुत ज्यादा मदद करेगा। बीमारियों में भी आप इसका इस्तेमाल करके लाभ उठा सकते हैं। 

आंखों की एलर्जी या मोतिया बिम्ब में शंख भस्म का प्रयोग ?

आपको अगर आंखों में एलर्जी की शिकायत है। या मोतियाबिंद की शिकायत बन रही है। या शाम के समय आपको दिखना बंद हो गया है।  तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। गुलाब का अर्क लेना है 20ml वह लेकर किसी कंच की बोतल में डालना। उसमे दो चुटकी सफेद फटकड़ी डालनी है। दो चुटकी ही आपको यह डालना है शंख भस्म। डालकर उसको अच्छे से हिला देना है और उसके बाद उपर तक के कपड़े से सूती कपड़े से बान्ध देना हैं। उसको रुई की सहायता से या किसी ड्रापर की सहायता से दिन में 2 बार डालना है। ऐसा करने से आपके समस्त रोग दूर होते हैं। और आंखों की रोशनी बढ़ती चली जाती है। 

पेट दर्द में भी बहुत लाभकारी होता है शंख भस्म ?

यदि आपको पेट दर्द हो रहा है। पेट में किसी समस्या के कारण पेट में दर्द हो जाता है तो 10 मिनट के अंदर पेट दर्द पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। और जिसको पेट दर्द की शिकायत है वह पूर्णता ठीक हो जाएंगे।

पिंपल्स होने पर शंख भस्म को कैसे प्रयोग करें ?

मुंह के पिंपल्स में भी बहुत फायदेमंद है जो पिंपल्स निकलते हैं। तो लोग कहते हैं अरे जवान हो गए छोड़ा जवान हो गई छोडी। तो कहने का मतलब यह है जवानी के दाने निकलते नहीं है। किस के अंदर जाते हैं शिकायत है तो इसका इस्तेमाल एक कटोरी में थोड़ा-सा शंख भस्म डालें और थोड़ा-सा नींबू का रस छलावा डालें पेस्ट बनाकर वह लगाने पर जब उतारे आधे घंटे बाद का सचित्र करके डालें। अच्छे से उतार ले ऐसा  करने से पूरी तरह से गड्ढे के जो निसान हो जाते हैं। वह बहुत जल्द ठीक हो जाते हैं

बढे हुए लीवर की तील्ली को शंख भस्म से कैसे ठीक करें ?

जिनके लेफ्ट साइड में लिवर की तिल्ली बढ़ जाती है। गरम दवाइयां खाने से उनके साइड इफेक्ट के कारण लीवर की तिल्ली बढ़ जाती है। जैसे मलेरिया की दवाई खा लेते हैं। तो उनकी ज्यादातर लीवर कि तिल्ली बढ़ जाती है। और वह कैंसर भी बन जाती है। कई बार ब्लड कैंसर जैसे कहा जाता है। इस तरह की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। उसमें आपने सिर्फ एक चम्मच एक कप में एलोवेरा का रस तीन से छह चम्मच आपने इसके अंदर गिलोय का रस डालना है और चार चुटकी आपने शंख भस्म मिलाना है। यह मिलाकर स्थिति सुबह खाली पेट पीना है। और शाम को खाना खाने से आधा घंटा पहले इस्तेमाल करना है। इससे आपको लीवर की तिल्ली जो बढ़ती है। वह भी पूरी तरह धीरे-धीरे आप का सिकुड़ जएगा। बढ़ा हुआ तिल्ली पूरी तरह से नष्ट होता चला जाएगा।


पेट की गांठ को शंख भस्म से कैसे ठीक करें ?

पेट में अंदर जो गैस का गोला घूमता रहता है। उनको महसूस होता है कि यहां सारी गांठ है। लेकिन जब अल्ट्रासाउंड करवाने जाता है सोनोग्राफी कराने जाता है तो उसमें कुछ नहीं आता है। रोगी बहुत परेशान हो जाता है। वह सोचता है ऐसा क्या चीज है। भाई! हाथ लगाने से तो महसूस होता है। लेकिन अल्ट्रासाउंड में नही आता है। ऐसे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है कि कल का पाउडर पाउडर बना लेना। तो उसमें चार चुटकिया पाउडर लेकर उसमें अपने 4 चुटकियाँ ही शंख भस्म मिलाए और एक चम्मच शहद मिलाए। सुबह-शाम खाना खाने के 1 घंटे बाद चाटना है। तो आपका रोग पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। 

अगर भूख नहीं लगता या खाए हुए नहीं पचता तो क्या करे ?

तीन से चार चम्मच या तो नींबू का रस ले या फिर अनार का रस ले किसी कटोरी में डाल दे सुबह और शाम को खाना खाने के आधे घंटे बाद इसका सेवन करे। एकदम आराम आ जाएगा और आप अपने आप को बिल्कुल अच्छा और ताजा एवं हल्का महसूस करेंगे।

मंदाकिनी क्या होता है ?

मंदाकिनी का मतलब होता है। जो आपने खाया वह बड़ी देर से हजम होता है। मंदाकिनी का मतलब यह भी है कि आपके पेट में गैस बनना। मंदाकिनी का मतलब भूख ना लगना। मंदाकिनी का मतलब है। शरीर में और बाइ की मात्रा बढ़ जाना। हाइट भी अच्छे से नहीं निकल पाते है और शरीर बार बार बीमार पड़ता चला जाता है। क्योंकि मंदाकिनी से रोगी पूरी तरह से बीमार पड़ते चले जाते है। तरह तरह के रोग लगते चले जाते हैं। 

मंदाकिनी को कैसे ठीक करे ?

आपके लिए सांत मौसम बहुत फायदेमंद है। एक कप पानी को हल्का गर्म या गुनगुना कर ले उसको उसके अंदर तीन चम्मच नींबू का रस डालें। और हल्का सा सेंधा नमक स्वाद अनुसार डालें और चुटकी भर उसमें शंख भस्म मिलाकर घोल ले सुबह और शाम को खाना खाने के 1 घंटे बाद सेवन करे ऐसा करने से की मंदाकिनी की शिकायत दूर हो जाएगी। और आपका शरीर भी एकदम विकास करने लगेगा। 

हड्डियों के लिए है शंख भस्म फायदेमंद ?

हड्डियों में  कैल्शियम की कमी के लिए भी बहुत फायदेमंद है। शंख भस्म हड्डियों की कैल्शियम की कमी या हड्डियों में मिनरल्स की कमी या हड्डियों में तरह-तरह की बिटमीन पाए जाते हैं। अगर आप गोलियों का सहारा लेते हैं। उनके कोई ना कोई साइड इफेक्ट होता है। कोई किडनी खराब कर देता है। कोई पथरी की शिकायत बना देता है। तो बिना कोई नुकसान के यह इसका इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद है। कई बार तो इतने कमजोर हड्डियों वाले होते हैं। कि गलत काम जोरों से ज्यादा कर दे तो हड्डी दर्द करने लग जाती है। ज्यादा चल दे तो घुटने दर्द करने लग जाते हैं। तो ऐसे में उसमें एक चम्मच शहद मिलाना है और उसको सुबह शाम आपको चाटना है। ऐसा दिन में दो बार करने से खाना खाने के 1 घंटे बाद इस्तेमाल करने से हड्डियों में ताकत आती है कैल्शियम पूरा होता है। और हड्डियां ताकतवर बनती चली जाती है। 

सूखी खांसी या बलगम में बहुत ही लाभकारी है शंख भस्म ?

अगर आपको सुखी खांसी है या बलगम बनती है। खांसी करते करते परेशान हो रहे हैं। और कई बार पसलियों में दर्द सिर में दर्द, खांसी इतनी हो जाती है कि पेडू में दर्द और पेशाब तक निकल जाता है। इसे ठीक करने के लिए एक चम्मच शहद लेकर और छुटकी भर उसमें भस्म मिलाकर सुबह-शाम चाटने से खांसी किसी भी प्रकार की हो पूरी तरह से समाप्त हो जाती हैं।


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