कैंचु फूलों के अद्भुत फायदों के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।।

Rochak Hindi Gyan Sagar

इसका फूल अत्यंत ही सुंदर होता है। यह हमे अक्सर कहीं ना कहीं देखने को मिल ही जाती है। 

इसके फूलों का रंग पीला एवं लाल होता है। इस का फूल देखने में जितना सुंदर होता है। इसके गुण ही उतने ही प्रभावी होते है।

इसके फूलों को सूजन के लिए अचूक औषधि माना गया है

इसके फूलों को आप पानी की भाप में गरम कर ले और जितना ताप आप सहन कर सके उतना ही इसे गर्म करें। आपको जिस जगह पर सूजन है। चाहे वह चोट की सूजन हो या अर्थराइटिस की सूजन हो या मोच की सूजन हो आप इसे  सूजन वाली जगह पर अच्छी तरह से बांध ले,  आप देखेंगे कि एक ही दिन के अंदर आपको सूजन से छुटकारा प्राप्त हो जाता है। यह सूजन के लिए रामबाण का काम करता है। यह सूजन में अत्यंत ही लाभदायक सिद्ध होता है। 


  • कैन्चू के पत्ते का हम साग भी बना कर खा सकते हैं। इसका अत्यंत ही स्वादिष्ट होता है और इसे खाने से हमारे शरीर में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती।
  • इसके साथ का सेवन बिहार एवं झारखंड में किया जाता है।
  • आदिवासी समाज के लोग ने बहुत पसंद करते हैं।
  • इनकी कई प्रजातियां पाई जाती है उनमें से एक है अरबी के पत्ते इसे लगभग संपूर्ण भारत में जानते हैं अरबी के पत्ते का हम विभिन्न प्रकार की सब्जियां एवं साग बना सकते हैं और उसका सेवन कर सकते हैं यह भी एक बहुत ही अधिक स्वादिष्ट होता है और यह कई प्रकार की बीमारियों को दूर करता है।
  • अरबी पत्ते की जड़ को हम अरबी के नाम से जानते हैं। यह सफेद रंग का होता है और इसकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट बनती है।
  • इन पत्तों में क्लोरोफिल की मात्रा अधिक होने के कारण हमारी आंखों की रोशनी कभी कम नहीं होती हमारे चेहरे हमेशा ग्लो करते हैं हमें बालों से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या नहीं आती हमारे चेहरे पर हमेशा निखार रहता है और यह हमारे मस्तिष्क को शांत रखता है। यह हमारी हृदय को स्वस्थ रखता है एवं हमारे हड्डियों को मजबूत रखता है।
  • अरबी के पत्तों को गाने के लिए बहुत अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है इसे बस मिट्टी में एक बार लगा दो बस यह खत्म ही नहीं होता इसे उगाने के लिए किसी भी प्रकार की रसायनिक की जरूरत नहीं होती इसे सिर्फ पानी की आवश्यकता होती है और यह देखने में भी बहुत अधिक आकर्षक लगती है बहुत सुंदर लगती है इसे आप अपने छतों पर गमलों में लगा सकते हैं यह आपके शब्दों की शोभा भी बढ़ाएंगे।
  • एक बार या पौधा लगाने के बाद यह कभी खत्म नहीं होता और यह बार-बार अपने आप ही उठता है।
  • इस पौधे को किसी प्रकार की जानवर नहीं खाते हैं।
  • भारत में इस पौधे की कई प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है इसकी एक प्रजाति जो पराया जंगलों में आती हैं वाह खाने में तो पता है परंतु खाने के पश्चात मुंह में वहां चुल-चुलाता आता है। चुलचुलाहट को दूर करने के लिए आप किसी भी खट्टे पदार्थ जैसे नींबू या आम के अचार का सेवन कर सकते हैं।
  • इसके पत्तों का हम पकोड़े भी बना सकते हैं और इसे हम बड़े चाव से खा सकते हैं।
  • इसे उठने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक ठंड में या पौधे खत्म हो जाता है। नहीं उठता है।

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